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महावीर ; मेरी दृष्टि में
वजह से है । हो सकता है कि सपने में किसी ने उसे मार दिया हो और वह रोता चला जा रहा है जाकर । उसके लिए फासला नहीं है अभी । जो लोग जीवन की गहराइयों पर उतरते हैं वे अन्त में फिर उस जगह पर पहुंच जाते हैं जहाँ फासले खो जाते हैं।
चीन में च्वांगत्से नाम का एक अद्भुत विचारक हुआ है । एक रात सपना देखा उसने, सुबह उठा । वह बड़ा परेशान था। मित्रों ने पूछा कि आप इतने परेशान क्यों हैं । हमारी परेशानी होती है, तो हम आप से सलाह लेते हैं । आज आप परेशान हैं ? क्या हो गया आपको? उसने कहा : मैं बड़ी मुश्किल में पड़ गया हूँ। रात मैंने एक सपना देखा कि मैं तितली हो गया हूँ और फूल-फूल पर भटक रहा हूँ। तो मित्रों ने कहा, इसमें क्या परेशान होने की बात है ? सपने सभी देखते हैं । उसने कहा : नहीं, इससे परेशान होने की बात नहीं है । अब मैं इस चिन्ता में पड़ गया हूँ कि अगर रात च्वांग नाम का आदमी सोया और तितली हो गया सपने में तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि वह सपने की तितली अब सो गई है और अब सपना देख रही है च्वांग हो जाने का । क्योंकि जब आदमी सपने में तितली हो सकता है तो तितली सपने में आदमी हो सकती है । अब मैं सच में च्वांग हूँ या फिर तितली सपना देख रही है । वह जिन्दगी भर लोगों से पूछता रहा कि कैसे तय हो इस बात का।
जैसे ही कोई आदमी गहरे जीवन में उतरेगा तो उसे पता चलेगा कि वहों से सपने आते हैं, वहीं से जीवन आता है, वहीं से सब लहरें आती हैं । इसलिए सब लहरें एक अर्थ में समानार्थक होती हैं। तब सुख और दुःख बेमानी है । तब आरम्भ और अन्त बेमानी है, तब ऐसा होना और वैसा होना बेमानी हैं । तव सब स्थितियों में आदमी राजी है। लेकिन चूंकि हम लहरों का हिसाब रखते हैं इसलिए हम परम सत्य की बाबत भी पूछना चाहते हैं वह कब शुरू हुआ, कब अन्त होगा।
सूरज बनेगा, मिटेगा। वह भी एक लहर है जो जरा देर तक चलने वाली है । पृथ्वी दो अरब वर्ष चलेगी । वह भी मिटेगी, बनेगी। वह भी एक लहर है। हजारों पृथ्वियां बनी हैं और मिटी है । हजारों सूरज बने और मिटे हैं।
और प्रतिदिन कहीं, किसी कोने पर कोई सूरज ठंडा हो रहा है । और किसी कोने पर सूरज जन्म ले रहा है। इस वक्त भी, अभी जब हम यहां बैठे हैं तो कोई सूरज बूढ़ा हो रहा है । कोई सूरज अभी मरा होगा। कोई सूरज नया जन्म ले रहा होगा। कोई सूरज बच्चा है अभी, कोई जवान हो रहा है। हमारा