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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-१७
लिए कोई जगह नहीं है । एक दूसरा मनोवैज्ञानिक कारण भी है कि वृद्धा साध्वी एक दिन के दीक्षित जवान साधु को नमस्कार करे। स्वभावतः लगेगा कि पुरुष को बहुत सम्मान दे दिया गया, स्त्री को बहुत अपमानित कर दिया गया। बात उल्टी है। स्त्रियों से संयम की सम्भावना ज्यादा है सदा पुरुषों के बजाय । क्योंकि पुरुष आक्रामक है, उसका चित्त आक्रामक है। स्त्री को जब तक कोई असंयम में न ले जाए, वह अपने से जाने वाली नहीं है, चाहे मोक्ष की तरफ, चाहे नरक की तरफ । हर चीज में-चाहे पाप हो चाहे पुण्य, चाहे मोक्ष हो चाहे नरक, चाहे अंधकार हो चाहे प्रकाश, पुरुष पहले करने वाला है। ऐसा बहुत कम मौका है कि कभी कोई स्त्रो किसी पुरुष को पाप में ले गई हो । कमी ले जाए तो उसका कारण यही होगा कि उसके पास पुरुषचित्त है ।
महावीर यहां बहुत अद्भुत मनोवैज्ञानिक सूझ का परिचय दे रहे हैं जो कि फ्रायड के पहले किसी आदमी ने कभी दिया ही नहीं था। लेकिन सूझ इतनी गहरी है कि एकदम से दिखाई नहीं पड़ती। चूंकि पुरुष ही पाप में ले जा सकता है, स्त्री कभी नहीं, इसलिए महावीर ने बड़ा सुगम उपाय किया है कि स्त्री पुरुष को आदर दे । और स्त्री जिस पुरुष को आदर देतो है, उसके अहंकार को कठिनाई हो जाती है उस स्त्री को पाप की ओर ले जाने में। एक स्त्री पापको आदर दे, पूज्य माने, सिर रख दे पैरों में, तो आपके अहंकार को कठिनाई हो जाती है अब इसको नीचे ले जाने में । इसलिए महावीर ने कहा कि कितनी ही वृद्धा स्त्री हो, पुरुष को आदर दे, उसका पैर छू ले, ताकि उसके अहंकार को कठिनाई हो जाए कि वह किसी स्त्री को पाप में ले जाने को कल्पना भी न कर सके। .
यहां अगर ध्यान से देखा जाए तो मालूम होगा झुकती तो स्त्री है किन्तु वस्तुतः पुरुष का अनादर हो गया है इस घटना में और स्त्री का पूर्ण आदर हो गया है । लेकिन यह देखना जरा मुश्किल मामला है। यह भी ध्यान रखें कि महावीर के तेरह हजार साधु थे और चालीस हजार साध्वियां थीं। यह अनुपात हमेशा : ऐसा ही रहा है । और साध्वियां जितनी साध्वियां होती हैं साधु उतने साधु नहीं होते हैं । चूंकि वे पहल नहीं करतीं किसी भी काम में, इसलिए वे जहां हैं, वहीं रुक जाती हैं। अगर स्त्री को काम-वासना में दीक्षित न किया जाए तो वह जीवन भर ब्रह्मचर्य से रह सकती हैं । स्त्री के शरीर और मन को व्यवस्था बहत और तरह की है। पुरुष के शरीर और मन की व्यवस्था बहुत मोर तरह की है । स्त्री को काम-वासना में भी दीक्षित करना पड़ता है, धर्म