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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-२०
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भय पकड़ता है। एक आदमी लंगड़ा हो गया है तो मुझे डर लगता है कि मैं लंगड़ा तो नहीं हो जाऊंगा।
वह युवक मेरे पास बैठा है। वह डरा हुआ है। मैंने उसके पिता को, उसकी मां को, उसकी पत्नी को कहा कि तुम सरासर झूठी बातें इस युवक को सिखा रहे हो। एकदम बिल्कुल झूठी बातें। वह युवक एकदम ठीक कह रहा है। मैंने इतना वहा कि वह युवक जो सिर झुकाए, रीढ़ नीचे किए बैठा था सीषा होकर बैठ गया। उसने सिर ऊंचा किया। उसने मुझे गौर से देखा। उसने कहा, क्या कहते हैं आप कि मैं ठीक कह रहा हूँ। मैंने कहा : हो तुम ठीक कह रहे हो। आँख का कोई भरोसा नहीं, जिन्दगी का भी कोई भरोसा नहीं। तुम्हारे मां-बाप सरासर झूठी बातें करके तुम्हें एक भ्रम में रखना चाहते हैं जबकि तुम सच ही कह रहे हो। लेकिन मैंने कहा कि तुम इससे भागना क्यों चाहते हो ? भाग कहाँ सकते हो? क्या तुम मरने से बच सकते हो? कोई रास्ता है बचने का ? उसने कहा कि कैसे बच सकता हूँ? मैंने कहा कि मृत्यु की जो स्थिति है, इसे स्वीकार कर लेना चाहिए। जिससे बच ही नहीं सकते हो वह मृत्यु है। फिर इसमें चिन्ता की क्या बात है? उस युवक ने कहा कि नहीं, ऐसी चिन्ता की बात नहीं मालूम होती। लेकिन यह सब मुझे समझाते हैं कि यह बात ही झूठ है। तब मैं द्वन्द्व में पड़ जाता हूँ। उधर मुझे लगता है कि मौत होगी और ये लोग कहते हैं कि नहीं होगी। तो मैं द्वन्द्व में पड़ जाता है। आप कहते हैं मौत होगी। ___ मैंने कहा बिल्कुल पक्का है। कल सुबह भी पक्का नहीं कि तुम जिन्दा उठोगे। इसलिए आज की रात में ही ठीक से सो जाओ। कल सुबह का कोई भरोसा नहीं। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें आँख जाने का डर क्यों है। उसने कहा तो फिर मैं पेन्ट कैसे करूंगा? अगर मेरी आँख चली गई तो मैं पेन्ट कैसे कलंगा ? मैंने कहा कि जब तक आँख है तब तक पेन्ट करना। क्योंकि आंख का कोई भरोसा नहीं। जब तुम्हारी आँख नहीं होगी तब तुम पेन्ट नहीं कर सकोगे। अभी तुम्हारी आँख है तो भी तुम पेन्ट नहीं कर रहे हो। आँख नहीं होगी इस चिन्ता में नष्ट किए दे रहे हो। आँख खत्म हो सकती है अगर यह पक्का है तो तुम शीघ्रता से पेन्ट करो।
मां-बाप लाए थे उसे मेरे पास कि मैं उसे आश्वासन हूँ। वे बहुत घबड़ा गए और बोले कि यह आप क्या कर रहे हैं, हम तो और मुश्किल में पड़