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प्रस्नोत्तर-प्रवचन-११
पंडित का अपना जमत् है। महावीर उस शब्द जाल से भी बाहर वा जाना चाहते हैं । इसलिए पंडित का शब्द-जाल है संस्कृत का । बाम जनता की बातचीत तो सीधी-सादी है उसमें जाल नहीं है । न व्याख्या है , न परिभाषा है। जिंदगी को इंगित करने वाले शब्द हैं । तो उन्होंने वे शब्द पकड़ लिए और सीधी जनता से बात शुरू कर दो। वह जनता के आदमी हैं । इन अर्थों में वे पंडित नहीं है । और उन्होंने यह भी न चाहा कि उनके शास्त्र निर्मित हों।
किसी ने पूछा भी है एक सवाल कि महावीर के बहुत पूर्व काल से लिखने को कला विकसित हो गई थी और जैन कहते हैं कि खुद प्रथम तीर्थकर ने लोगों को लिखने की कला सिखाई । प्रथम तीर्थकर को हुए कितना काल व्यतीत हो चुका था। लोग लिखना जानते थे, पढ़ना जानते थे, किताब बन सकती थी फिर महावीर के जीते जी महावीर ने जो कहा उसका शास्त्र क्यों नहीं बना ?
हमें ऐसा लगता है कि लिखने की कला न हो तो शास्त्र निर्मित होने में बाधा पड़ती है। लिखने की कला हो तो शास्त्र निर्मित होना ही चाहिए । मेरी अपनी दृष्टि यह है कि महावीर चूंकि शास्त्रीय-बुद्धि नहीं है, उन्होंने नहीं चाहा होगा कि उनका शास्त्र निर्मित हो और जब तक उनका बल चला शास्त्र न बन पाये । शास्त्रीय व्यक्ति की बुद्धि जीवन से पृथक होकर शब्दों की दुनिया में प्रवेश कर जाती है और एक विचित्र काल्पनिक लोक में भटकने लगती है । तो महावीर ने सुनिश्चित रूप से, शास्त्र को रोकने की कोशिश की होगी। इसलिए मर जाने के दो-तीन चार सौ वर्षों तक, जब तक लोगों को उनका स्पष्ट स्मरण रहा होगा कि शास्त्र नहीं लिखने है तब तक शास्त्र नहीं लिखा जा सका होगा। लेकिन हमारा मोह भारी है, हम प्रत्येक चीज को स्मृति में रख लेना चाहते हैं । तो कहीं ऐसा न हो कि महावीर का कहा हुआ विरस्मरण हो जाए; कहीं ऐसा न हो कि महावीर विस्मरण हो जाएं, तो हमारे पास उपाय क्या है ? हम लिपिबद्ध कर लें, शास्त्रबद्ध कर लें, फिर नहीं खोएगा। महावीर खो जाएंगे लेकिन शास्त्र बचेगा। लेकिन कभी हमें सोचना चाहिए कि जब महावीर जैसे बीवन्त व्यक्ति भी खो जाते हैं तो शास्त्र को तुम बचा कर क्या महावीर को बचा सकोगे।
महावीर जैसे व्यक्ति तो यही उचित समझेंगे कि जब क्यक्ति ही बिदा हो जाता है, और वहां चीजें परिवर्तनीय है, सभी बाती हैं और चली जाती है वहीं कुछ भी स्थिर न हो, वहाँ शब्द और शास्त्र भी स्थिर न हों, वह भी खो जाएँ। क्योंकि जीवन का नियम जब यह है-जन्म लेना और मर जाना, होना और