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महावीर : मेरी दृष्टि में
कृष्णमूर्ति का सवाल ही न था। सवाल तो किसी और आत्मा का था। आत्मा के लिए तैयारी थी उनके शरीर की। क्योंकि ऐसा अनुभव किया गया है कि मैत्रेय के उतरने में बड़ी बाधा पड़ रही है। कोई शरीर इस योग्य नहीं मिल रहा है कि मैत्रेय उतर जाएं। और कोई गर्भ ऐसा निर्मित नहीं हो रहा है कि मैत्रेय के लिए अवसर बन जाए। तो हो सकता है कि दो चार हजार वर्ष प्रतिक्षा करनी पड़े। हो सकता है कि प्रतीक्षा समाप्त हो जाए, और बस चेतना बिदा हो जाए । लेकिन आशा कम है । वह प्रतीक्षा जारी रहेगी। कृष्णमूर्ति के लिए किया गया प्रयोग असफल हो गया। और अब ऐसा कोई प्रयोग पृथ्वी पर नहीं किया जा रहा है । अब तक सदा आकस्मिक शिक्षक ही उतरे थे, कभी-कभी तैयारियां भी हुई थीं। तो वह जो मैंने कहा एक बार लौटने का उपाय है मुक्त आत्मा को और यह उसका हक है, उसका अधिकार है क्योंकि जिसने जीवन में इतना पाया उसे अगर बांटने का और खबर देने का अधिकार भी न मिलता हो तो वह जीवन बड़ा असंगत और तर्कहीन है। उपलब्धि के बाद अभिव्यक्ति का मौका अत्यन्त जरूरी है। इसलिए मैंने कहा कि महावीर पिछले जन्म में उपलब्ध किए हैं, इन जन्म में बांटे हैं, उनकी चेतना के लौटने का कोई सवाल नहीं है।
दूसरी एक बात आपने पूछो है कि हम प्रकृति में तो चक्रीय गति देखते हैं । सब चीजें दौड़ती हैं, घूमती हैं। सब चीजें लौट कर फिर घूम जाती हैं । तो मन में सम्भावना उठतो है, कल्पना उठती है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि निगोद से आत्माएँ मोक्ष तक जाती हों, फिर वापस निगोद में पहुँच जाती हों। क्योंकि जहाँ सभी कुछ चक्र में घूमता हो, वहां सिर्फ एक आत्मा की गति को चक्रीय न माना जाए यह कुछ नियम का खंडन होता मालूम पड़ता है। सब चीजें लौट आती हैं, बीज वृक्ष बनता है, फिर वृक्ष में बीज आ जाते हैं। फिर बोज वृक्ष बनते हैं, फिर वृक्ष के बीज आ जाते हैं । सब लोटता चला जाता है ।
किसी वैज्ञानिक को कोई पूछ रहा था कि मुर्गी और अंडे में कौन पहले है। बहुत जमाने से आदमियों ने यह बात पूछी है । उस वैज्ञानिक ने कहा कि पहले का तो सवाल ही नहीं है क्योंकि मुर्गी और अंडा दो चीजें नहीं हैं । तो उस आदमी ने पूछा कि अगर दो चीजें नहीं हैं तो मुर्गी क्या है ? अंडा क्या है ? वैज्ञानिक ने फिर बहुत बढ़िया बात कही कि मुर्गी है अंडे का रास्ता, अंडे पैदा करने के लिए। या इससे उल्टा कह सकते हैं कि अंडा मुर्गी का रास्ता है, मुर्गी पैदा करने के लिए । सब चीजें घूम रही हैं। घड़ी के कांटे की तरह सब