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प्रश्नोत्तर - प्रवचन- १६
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था ? अब दाम इसके बोलो। और जहाँ से उसकी बोली खत्म हुई वहाँ से शुरू करो । लोगों ने समझा कि उससे भी बढ़िया तोता आ गया है तो उन्होंने वोली शुरू की लेकिन तब धीरे-धीरे किसी ने कहा कि वह जो तोता था, वार-बार बोलता था, जवाब देता था, कई दफा बोली भी बढ़ाता था लेकिन यह तो कुछ बोलता ही नहीं है । नसरूद्दीन ने कहा कि बोलने वाले तोते का क्या मूल्य ? यह मौन तोता है, यह बिल्कुल परम स्थिति को पहुँच गया है । उन्होंने कहा हटाओ इसको । कोई एक पैसे का भी नहीं खरीदेगा इसे | उसने कहा बड़े पागल लोग हो तुम । लोगों ने कहा : अरे यह मूर्ख है नसरूद्दीन; इसकी बातों में क्यों पड़ते हो | यह पागल है इसमें कुछ अकल नहीं है । तोता सहित इसको निकाल बाहर करो ।
लोगों ने नसरूद्दीन को तोता सहित बाहर निकाल दिया । रास्ते पर लोगों ने पूछा : कहो नसरूद्दीन तोता बिका कि नहीं। उसने कहा कि क्या बिकता क्योंकि वहाँ खरीदाकर केवल वाणी को समझ सकते थे, मौन को कोई नही समझ सकता था । हम पिट गए क्योंकि वहां कोई मौन को समझने वाला न था । मैंने तो सोचा कि जब वाणी के इतने दाम लग रहे हैं तो मोन का तो मजा आ जाएगा । लेकिन लोगों को वह आदमी पागल लगता है । जो तोता बोलता नहीं उसको कौन खरीदेगा ?
यह आदमी नसरूद्दीन निरन्तर अपने गधे पर यात्राएं करता है । गधे पर शक्कर भर कर जा रहा है। नदी पड़ी । गधा नदी में बैठ गया । सारी शक्कर बह गई । नसरूद्दीन ने गधे से कहा है कि तू हमसे भी ज्यादा बुद्धिमानी दिखला रहा है | ठहर बेटे, तुझे भी आगे बतलाएँगे । क्योंकि हम कोई साधारण आदमी नहीं, हम भी तर्क जानते हैं । गधे को वापस लाया । उस पर रूई लादी । उसे नदी के पास ले गया । गधा फिर बैठा । रूई भारी हो गई । गधे का उठना मुश्किल हो गया । उसने आस-पास के लोगों को बुलाकर कहा : देखो ! नसरुद्दीन जीत गया, गधा हार गया। लोगों ने कहा : तुम बिल्कुल जड़ बुद्धि हो तुम गधे से विवाद कर रहे हो । नसरूद्दीन ने कहा : विवाद गधे के सिवाय किससे करना पड़ता है। असल में गधों से झगड़ा है । गधों से बकवास है । दोनों एक से हैं । उनकी बातों का कोई मतलब
नहीं ।
इस आदमी की जिन्दगी में ऐसे बहुत मौके हैं जब कि एकदम समझना मुश्किल हो जाता है कि यह आदमी क्या पागलपन कर रहा है । लेकिन पीछे