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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-१६
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का फर्क नहीं होता सिर्फ सूचना का फर्क होता है। एक आदमी यूनिवर्सिटी से लौटता है, सूचनाएं इकट्टा करता है। उसका ही एक भाई गांव में, देहात में रह गया था। सूचनाएं इकट्ठो नहीं कर पाया। ये दोनों मिलते हैं तो एक ज्ञानी मालूम पड़ता है, दूसरा अज्ञानी मालूम पड़ता है। असल में दोनों अज्ञानी हैं। एक के पास सूचनाओं का ढेर है, एक के पास सूचनाओं का ढेर नहीं है । एक ज्यादा अज्ञानी है, यह कम अज्ञानी है, मगर यह भी ज्ञान के हिसाब से नहीं है तोल । जब ज्ञान प्राता है तो बस आता है। जैसे आँख खुल जाए और प्रकाश दिख जाए, जैसे दिया जल जाए और अंधेरा मिट जाए। ज्ञानी कभी छोटे-बड़े नहीं होते। लेकिन हम कि अज्ञानी हैं सब और छोटे-बड़े की भाषा में जीते हैं तो हम ज्ञानियों के भी छोटे-बड़े होने का हिसाब लगाते रहते हैं। कोई कहता है कबीर बड़ा कि नानक, महावीर बड़े कि बुद्ध, राम बड़े कि कृष्ण, कृष्ण बड़े कि मुहम्मद । इस तरह बड़े-छोटे का हिसाब लगाते रहते हैं अपने हिसाब से । कोई बड़ा-छोटा नहीं है वहाँ ।
आज से तीन सौ चार सौ साल पहले सारी दुनिया में एक ख्याल था कि अगर हम छत पर खड़े होकर एक छोटा और एक बड़ा पत्थर गिरायें साथसाथ तो बड़ा पत्थर पहले पहुँचेगा जमीन पर, छोटा पत्थर पीछे । यह बिल्कुल ठीक गणित था। किसी ने गिरा कर देखा नहीं था। गणित बिल्कुल साफ हो दिखता था। क्योंकि बड़ा पत्थर है, पहले गिरना चाहिए। छोटा पत्थर है बाद में गिरना चाहिए। जिस पहले आदमी ने पिसा के टावर पर पहली दफा खड़े होकर पत्थर गिरा कर देखा कि दोनों पत्थर साथ-साथ गिरे तो उसने दोचार बार गिरा कर देखा कि कहीं कुछ भूल जरूर हो रही है क्योंकि बड़ा पत्थर छोटा पत्थर साथ-साथ कैसे गिरे । फिर जब उसने यूनिवसिटी के प्रोफेसरों को कहा कि दोनों पत्थर साथ-साथ गिरते हैं तो उन्होंने कहा : तुम पागल हो गए हो, ऐसा कभी हुआ है ? हालांकि ऐसा किसी ने कभी देखा नहीं था जाकर। फिर भी उसने कहा कि ऐसा हुआ है। प्रोफेसर बामुश्किल देखने गए क्योंकि पंडितों से ज्यादा जड़ कोई भी नहीं होता। वह जो पकड़े रखते हैं, उसको इतनी जड़ता से पकड़ते हैं कि उसको इंच दो इंच भी हिलने नहीं देते । जब पत्थर गिराकर देखा तो कहा इसमें जरूर कोई शरारत है, इसमें जरूर कोई तरकीब की बात है क्योंकि यह कैसे हो सकता है कि बड़ा पत्थर और छोटा पत्थर दोनों साथ-साथ गिरें। इसमें कोई तरकीब है या शैतान का हाथ है। और तुम इस झंझट में मत पड़ो। इसमें शैतान कुछ पीछे शरारत कर रहा है,