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महावीर : मेरी दृष्टि में
भी नहीं है कि पृथ्वी भी जीवित है । इसे थोड़ा समक्ष लेना उपयोगी होगा । हम कहते हैं कि मैं जीवित हूँ लेकिन हम कभी ख्याल भी नहीं करते कि हमारे शरीर में करोड़ों कीटाणु भी जीवित हैं । उन कीटाणुओं का अपना जीवन है और उन कीटाणुओं से मिले हुए जीवन में एक और भी जीवन है जो हमारा है । पृथ्वी का अपना एक जीवन है । इसलिए महावीर कहते हैं कि पृथ्वी काया है जीवन की । इस पृथ्वी पर पौधों, पक्षियों, मनुष्यों का अपना जीवन है । लेकिन पृथ्वी का अपना जीवन है । पृथ्वी की अपनी जीवनधारा है । उसका जन्म हुआ है । वह मरेगी। सूरज का अपना जीवन है । चाँद का अपना जीवन है । वह भी शुरू हुआ, उसका भी अन्त होगा। लेकिन जीवन का अस्तित्व का कोई अन्त नहीं है । ऐसा ही समझ लें कि अस्तित्व एक सागर है, उस पर लहरें उठती हैं, आती हैं, जाती हैं, लेकिन पूरे अस्तित्व का कभी प्रारम्भ हुआ हो, न ऐसा है, न ऐसा हो सकता है ।
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इसे ऐसा समझना चाहिए । हमारे सारे तर्क एक सीमा पर जाकर व्यर्थ हो जाते हैं । हम यहाँ लकड़ी के तख्तों पर बैठे हुए हैं । कोई हमसे पूछ सकता है कि आपको कौन संभाले हुए हैं तो हम कहेंगे - लकड़ी के तख्ते । फिर वह पूछ सकता है कि लकड़ी के तख्तों को कौन संभाले हुए है तो हम कहेंगेजमीन। फिर वह पूछ सकता है कि जमीन को कौन संभाले हुए है तो हम कहेंगे कि ग्रहों-उपग्रहों का गुरुत्वाकर्षण । फिर वह पूछ सकता है कि ग्रहोंउपग्रहों को कौन संभाले हुए हैं ? तो शायद हम और खोजते चले जाएँ । लेकिन अन्ततः कोई पूछे कि इस समय को, इस पूरे को, जिसमें ग्रह, उपग्रह, तारे, पृथ्वी सब आ गए हैं इस सबको कौन संभाले हुए है अब बात जरा ज्यादा हो गई है । इस सबको कौन असंगत है क्योंकि हमने पूछा कि सबको कौन संभाले हुए हैं ? अगर संभालने
तो हम उससे कहेंगे कि संभाले हुए है, यह प्रश्न
और अगर उसे भीतर
सबको कोई भी नहीं
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वाले को हम बाहर रखते हैं तो सब अभी हुआ नहीं। कर लेते हैं तो बाहर कोई बचता नहीं जो उसे संभाले। संभाले हुए है । सब स्वयं संभला हुआ है। एक-एक चीज को एक-एक दूसरा संभाले हुए है । लेकिन समग्र को कोई भी नहीं संभाले हुए है । वह खुद संभला हुआ है । वह स्वयं है । इसीलिए महावीर कहते हैं कि जीवन स्वयंभू है । न इसका बनाने वाला है, न इसका मिटाने वाला है । वह स्वयं है । जैसा कि वे कहते हैं कि इससे क्या फायदा कि तुम एक आदमी को लाओ बीच में । फिर कल यही सवाल उठे कि उसको कौन बनाने वाला है फिर तुम किसी और को