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प्रश्नोत्तालापन-१४
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है और प्यों झुकमा है। एक बादमी मेरे पास आया और उसने कहा कि मम फला-फला आदमी को महात्मा मानते है कि नहीं। मैंने कहा कि अगर तुम मुझसे कहते कि आदमी को महात्मा मानते है कि नहीं तो मैं जल्दी से राजी हो जाता । तुम कहते हो फला-फलो व्यक्ति। अब इसमें यह बात छिपी है कि मैं एक व्यक्ति को महात्मा मानूं तो दूसरों को हीनात्मा मानूं इसके सिवाय कोई चारा नहीं है। एक को महात्मा मानने में दूसरे को होनात्मा मानना पड़ेगा। नहीं तो उसे महात्मा कहने का कोई अर्थ नहीं रह पाता। मैंने कहा कि मैं किसी को होनात्मा मानने में राजी नहीं है इसलिए महात्मा भी विदा हो जाता है। मेरे लिए कोई महात्मा नहीं क्योंकि कोई हीनात्मा नहीं है। और एक को महात्मा बनायो तो हजार, नाख, करोड़ को हीनात्मा बनाना जरूरी है, नहीं तो काम पलता नहीं। यानी एक महात्मा की रेखा खींचने के लिए करोड़ होनात्मानों का घेरा बड़ा करना पड़ता है, तब एक महात्मा बन सकता है, बनाया जा सकता है। लेकिन एक बादमी को महात्मा मानने में हम करोगों मादमियों को होनात्मा की दृष्टि से देखना शुरू कर देते हैं। महावीर किसी को न महात्मा मानते हैं, न हीनात्मा मानते हैं । महावीर इस विचार में ही नहीं पड़ते। वह एक-एक की गिनती नहीं कर रहे हैं : समस्त बीवन का सीधा समर्पप है। व्यक्ति बीच में माता ही नहीं।
इस प्रश्न से सम्बन्धित दूसरी बात भी मैं आपको याद दिला हूँ कि चूंकि महावीर ने किसी को गुरु नहीं बनाया इसलिए जितने लोगों ने महावीर को गुरु बनाया उन सबने महावीर के साथ अन्याय किया है। वे समझ ही नहीं पाए महावीर को। यानी जिस भावमी में किसी को कमी गुरु नहीं बनाया है, वह कभी किसी को शिष्य बनाने की बात भी नहीं सोच सकता। दोनों संयुक्त बातें है। क्योंकि जब वह अपने लिए यह ठीक नहीं मानता है कि किसी को गुरु की तरह स्थापित करें, तो वह कैसे मान सकता है कि कोई उसे गुरु की तरह स्थापित करे । इसलिए जो अपने को महावीर के शिष्य और अनुयायी समझते हैं, वे महावीर के साथ एक बुनियादी अन्याय कर रहे हैं। वे उस आदमी को समक्ष हो नहीं पाए। जिस महावीर ने अपने से पहले चले बाए किसी शास्त्र को नहीं माना उस महावीर का शास्त्र बना लेना उसके साथ अन्याय करना है। महावीर ने अपने पहने हुए किसी भी व्यक्ति को ऐसा नहीं कहा है कि उससे मुझे मिल जाएगा या वह मुझे देने वाला हो सकता है। बात हो नहीं उठाई इसकी । उस महावीर के पीछे लाखों लोप है जो यह कहते हैं :