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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-१५
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हिन्दुस्तान के विद्रोह और स्वतन्त्रता के इतिहास में जो सबसे बड़ा कीमती आदमो है, हिन्दुस्तान की स्वतंत्रता के इतिहास में कभी उसका उल्लेख नहीं होगा, यह पक्का मानिए । लेकिन वह उस तल पर काम कर रहा है जिस तल पर हमारी कोई पकड़ नहीं है । वह उन तरंगों को पैदा करने की कोशिश कर रहा है जो मुल्क को सोई हुई तन्द्रा को तोड़ दें, जो विद्रोह के भाव को जगाएं, क्रान्ति को हवा लाएं। लेकिन हमें ख्याल भी नहीं। और जिस दिन कभी हजार दो हजार साल बाद विज्ञान समर्थ होगा इन सूक्ष्म तरंगों को पकड़ने में, शायद उस दिन हमें इतिहास बिल्कुल बदल कर लिखना पड़े। जो लोग हमें बहुत बड़े दिखाई पड़ते हैं इतिहास में वह दो कोड़ी के हो सकते हैं। और जिन्हें हम कभी नहीं गिनते थे, वे एकदम परम मूल्य पा सकते हैं। क्योंकि जब तक सौ रुपये का नोट पहचान में न आए तव तक बड़ी कठिनाई है। और वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर एक फूल खिल रहा है, माली पानी डाल देता है, खाद डाल देता है
और चला जाता है और एक संगीतज्ञ उसी के पास बैठ कर वीणा बजाता है, कल जब बड़े-बड़े फूल खिलेंगे तो संगीतज्ञ को कौन धन्यवाद देगा। संगीतज्ञ से मतलब क्या है फूल का। माली को लोग पकड़ेंगे कि तूने इतना बड़ा फूल खिला दिया, तेरे खाद, पानी और तेरो सेवा ने। लेकिन ध्वनि-शास्त्र कहता है कि मालो जो कुछ भी कर सकता है उसके करने का कोई बड़ा मूल्य नहीं है । लेकिन अगर व्यवस्था से संगीत पैदा किया जाए तो फूल उतना बड़ा हो जाएगा जितना कभी नहीं हुआ था। ऐसा संगीत भी बजाया जा सकता है कि फूल सुकड़ कर छोटा रह जाए और वह सिर्फ ध्वनियों का खेल है। जब ध्वनियां फूलों को बड़ा कर सकती हैं तो कोई वजह नहीं कि विशिष्ट चित्त की तरंगे देश की चेतना को ऊपर न उठाती हों। __ अभी रूस और अमेरिका के वैज्ञानिक इस चेष्टा में संलग्न हैं कि क्या इस तरह की ध्वनि तरंगे पैदा की जा सकती हैं कि पूरे मुल्क में आलस्य छा जाए । ' और इसमें वे काफी हद तक सफल होते चले जा रहे हैं। कोई कठिनाई नहीं है कि आने वाले युद्ध बमों का युद्ध ही न हों, वे सिर्फ ध्वनि तरंगों के युद्ध हों, भालस्य छा जाए। यानी रूस में रेडियो स्टेशन इस तरह को ध्वनिलहरियां पूरे भारत पर फेंक दें कि पूरे भारत का आदमी एकदम आलस्य से भर जाए। यानी उसको कुछ लड़ने का सवाल ही न रहे, कोई भाव हो न रहे, सैनिक एकदम सो जाएं और हमारी समझ में कुछ न आए कि यह क्या हो गया। हमारे भीतर जो सक्रियता है, वह सारी की सारी छीन ली जाए।