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महावीर : मेरी दृष्टि में
प्रश्न : बहुत विशाल पृथ्वी है, इस विशाल पृथ्वी पर छोटे से भारत में और वहाँ भी दो-तीन प्रदेशों में ही चौबीस तीर्थकर क्यों हुए ? हर कहीं क्यों नहीं हुए?
उत्तर : यह हर कहीं नहीं हो सकते । क्योंकि प्रत्येक की मौजूदगी दूसरे के होने को हवा पैदा करती है। यह एक शृंखला है इसमें वह एक जो मौजूद था उसने उस क्षेत्र की, उस प्रदेश की, चेतना को एकदम ऊँचा उठा दिया। इस ऊँची उठी हुई चेतना में ही दूसरा तीर्थकर पैदा हो सकता है । एक शृंखला है उसमें । और यह भी जानकर आप हैरान होंगे कि जब दुनिया में महापुरुष पैदा होते हैं तो करीब-करीब एक शृंखला की तरह सारी पृथ्वी को घेर लेते हैं। महावीर, बुद्ध, गोशाल, अजित, संजय, पूर्ण काश्यप-ये सब हुए पांच सो वर्ष के बीच में बिहार में। उन्हीं पांच सौ वर्षों में एथेन्स में सुकरात, अरस्तू, प्लेटो हुए हैं। यानी पांच सौ वर्षों में सारी पृथ्वी पर एक श्रृंखला घूम गई जिसे कि अब विज्ञान समझता है शृंखलाबद्ध विस्फोट । अगर हम एक हाइड्रोजन बम के अणु को फोड़ दें तो उसकी गर्मी से पड़ोस का दूसरा हाइड्रोजन बम फूट जाएगा और उसकी गर्मी से तीसरा और उसकी गर्मी से चौथा । और एक हाइड्रोजन बम के फूटने पर पृथ्वी नहीं बनेगी क्योंकि शृंखला में पृथ्वी के सारे हाइड्रोजन एटम टूटने लगेंगे। सूरज इसी तरह गर्मी दे रहा है। सिर्फ पहली बार हाइड्रोजन एटम कभी अरबों, खरबों वर्ष पहले टूटा होगा। और वह भी हुआ होगा किसी बड़े तारे की मौजूदगी से जो करीब से गुजर गया होगा । इतना गर्म रहा होगा वह तारा कि उसके करीब से गुजरने से एक अणु टूट गया होगा । उसके टूटने से उसके पड़ोस का अणु टूटा होगा, उसके टूटने से उसके पड़ोस का और तब से सूरज के आस-पास जो होलियन की गैस इकठ्ठी है उसके अणु टूटते चले जा रहे हैं । उन्हों से हमें गर्मी मिल रही है । इसीलिए वैज्ञानिक कहते हैं कि चार हजार साल बाद सूरज ठंडा हो जाएगा क्योंकि अव जितने अणु बचे हैं वे चार हजार साल में खत्म हो जाएंगे। यह शृंखला चल रही है।
जैसे पदार्थ के तल पर शृंखलाबद्ध स्फोट ( एक्सप्लोजन ) होता है वैसे ही अध्यात्म के तल पर शृंखलाबद्ध स्फोट होता है। जैसे एक मकान में आग लग गई तो पड़ोस के मकान में आग लग जाए,पड़ोस के मकान में लग गई तो उसके पड़ोस में लग जाए, और इस प्रकार पूरा गांव जल जाए वैसे ही एक आदमी महावीर की कीमत का पैदा होता है तो सम्भावना पैदा कर देता है उस कीमत