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महावीर : मेरी दृष्टि में
घर नहीं था। हमें यह ख्याल में आना जरा मुश्किल होता है क्योंकि हम मिट्टी, पत्थर के घरों को घर समझे हुए हैं। इसलिए गृहत्याग का शब्द ही भ्रान्त है। असल में महावीर घर की खोज में निकले हैं। जो घर नहीं था उसे छोड़ा है
और जो घर है उसकी खोज में गए हैं। और हम जो घर नहीं है, उसे पकड़े बैठे हैं और जो घर हो सकता है उसकी ओर आंख बन्द किये हुए हैं। हम पलायनवादी हैं। पलायन का क्या मतलब होता है ? एक आदमी कंकर-पत्थर छोड़ दे और हीरों की खोज पर निकल जाए। पलायनवादी कौन है ? क्या आनन्द की खोज पलायन है ? क्या ज्ञान की खोज पलायन है ? क्या परम जीवन की खोज पलायन है ? तो महावीर ने कोई गृहत्याग नहीं किया। वह गृह की खोज में हो गए हैं।
आमतौर से आदमी सोचता है कि जो आदमी जिम्मेदारी से भागता है वह पलायनवादी है। लेकिन क्या पक्का पता है कि यही जिम्मेदारी है ? महावीर जैसा आदमी दूकान पर बैठकर दूकान चलाता है, क्या यही दायित्व होगा उसका जगत् के प्रति, जोयन के प्रति ? महावीर जैसा व्यक्ति घर में बैठ कर वाल-बच्चों को बड़ा करता रहे, क्या यही दायित्व हागा उसका? महावीर जैसे व्यक्ति के लिए इस तरह के क्षुद्रतम धेरे में खड़े होकर सब खो देने से अधिक दायित्वहीनता और क्या हो सकती है। बड़े दायित्व जब पुकारते हैं छोटे दायित्व तब छोड़ देने पड़ते हैं। बड़े दायित्व की पुकार चूंकि हमारे जीवन में नहीं है, इसलिए हमें देखकर बड़ी मुश्किल होती है कि वह आदमो जिम्मेदारियाँ छोड़कर जा रहा है। यह आदमी कितनी बड़ी जिम्मेदारियां ले रहा है, यह हमारे ख्याल में नहीं आता। आदमी एक घर को छोड़ता है तो करोड़ों घर उसके हो जाते हैं । घर के आंगन को छोड़ता है तो सारा आकाश उसका आँगन हो जाता है । पत्नी को, बेटे को, प्रियजन को छोड़ता है तो सारा जगत् उसका प्रियजन, और मित्र हो जाता है। लेकिन हमने हमेशा उसने जो छोड़ा है, उस भाषा में सोचा है । जिस विस्तार पर वह फैला है, वह हमने नहीं सोचा । और जो उस एक घर को छोड़कर गया, उसे भी छोड़कर कहाँ गया ?
बुद्ध के जीवन में एक मधुर घटना है । बुद्ध लौटे है घर बारह वर्ष बाद । पत्नी नाराज है। बुद्ध का बेटा एक दिन का था जब वह घर छोड़कर चले गये थे। वह अब बारह वर्ष का हो गया है । पत्नी उसे सामने कर देती है व्यंग्य में, मजाक में और कहती है कि यह तुम्हारे पिता है, पहचान लो । पूछ लो तुम्हारे लिए क्या कमाई इन्होंने छोड़ी है, तुम्हारा दायित्व क्या निभाया है ? यही रहे तुम्हारे