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प्रश्नोत्तर - प्रवचन४
शरीर अब भी कांप रहा है। जैसे कभी तुमने रात सपना देखा हो, डर गए हो, नींद खुल गई, और सपना टूट गया और अब तुम जानते हो, अब तुम हँसते हो कि वह सपना था । फिर भी हाथ कांप रहे हैं, फिर भी स्वांस धड़क रही है और अभी डर मौजूद है । और तुम जानते हो कि अब तुम जग गए हो और वह सपना था सिर्फ । लेकिन सपने का प्रभाव इतनी जल्दी थोड़े ही चला जाएगा । शरीर को वक्त लगेगा शांत होने में । वह सब तरह के उपाय करता और लोगों को उन उपायों के बीच में कहता कि जागो ! और अगर उस वक्त सुनाई पड़ जाए बात तो अभी आदमी जाग जाए ।
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तन्त्र ने इसके उपाय किए बहुत । नग्न स्त्री को सामने बिठाया हुआ है । साधक उसको देख रहा है और खोता चला जा रहा है। आँखों में उसके सम्मोहन आता चला जा रहा है, वह भूला चला जाता है, कभी कोई चिल्लाता है कि जागो और वह एक क्षण में जाग कर देखता है और अब शिथिल हो गया । नग्न स्त्री सामने रहती है चित्रवत् । उसका कांपता हुआ मन और शरीर रह गया है । दूर और भीतर कोई जाग गया है और देख रहा है। वह हँसता है कि क्या पागलपन था ? वह सारी व्यवस्था किसी भी क्षण जागने में उपयोगी हो सकती है । ऐसी कोई क्रिया नहीं है जिसमें न जागा जा सके । हाँ मैथुन सर्वाधिक कठिन है । उसका कारण है कि मैथुन ऐसी क्रिया है जो मनुष्य के ऊपर प्रकृति ने नहीं छोड़ी। अगर छोड़ दी जाए तो शायद कोई पुरुष कोई स्त्री कभी मैथुन करने को राजी न हो । अगर मनुष्य पर छोड़ दी जाए तो कोई कभी भी राजी न हो क्योंकि ऐसी एब्सर्ड, ऐसी व्यर्थ, ऐसी वेमानी क्रिया है । तो प्रकृति ने उसके लिए बहुत गहरी हिप्नोसिस डाली है भीतर । इतना गहरा सम्मोहन और इतनी गहरी मूर्च्छा डाली है कि उसी प्रभाव में ही कोई कर सकता है; नहीं तो कर नहीं सकता। मुश्किल पड़ जाय । वह मूर्च्छा बहुत गहरी है।
मैं इस पर बहुत प्रयोग करता रहा और बड़े हैरानी के अनुभव हुए। एक युवक मेरे पास था जिससे मैंने वर्षो सम्मोहन के प्रयोग किए । उसको मैंने संमोहित करके बेहोश किया है। पास में एक तकिया पड़ा है। -बेहोशी में कहता हूँ कि उठने के पन्द्रह मिनट बाद तू इस तकिए को चूमना चाहेगा । कोई उपाय नहीं कि तू इसको चूमने से रुक जाए । तुझे इसे चूमना • हो पड़ेगा। अब उसे होश वापस लौटा दिया है । वह होश में आ गया है। अब
और उससे मैं
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