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महावीर : मेरी दृष्टि में
वह बैठा है। और सब लोगों को पता है । पन्द्रह लोग वहां बैठे हैं, सबको पता है। अब वह लड़का बार-बार चोरी से उस तकिए को देखता है जैसे कोई किसी स्त्री को देखता है। अब वे पन्द्रह लोग जाकर उसको देख रहे हैं कि क्या मामला है ? वह कभी मौका मिल जाए तो चुपचाप उसे छू लेता है। उसके मन में इतनी गहरी हिप्नोसिस, सम्मोहन है कि तकिए ने एक कामुकता का अर्थ ले लिया है । वह खुद भी संकोच कर रहा है कि यह क्या पागलपन है कि वह तकिए को देखे । लेकिन अब उसका भीतर पूरा मन तकिए की तरफ डोला चला जा रहा है। अब तकिया यहाँ रखा है और वह वहाँ बैठा है। वह किसी भी बहाने यहां पास आकर बैठ गया है। बहाना बिल्कुल दूसरा है। क्योंकि तकिए के पास आकर बैठने के लिए वह कैसे कह सकता है ? वह कहता है कि मुझे वहाँ से सुनाई नहीं पड़ता है तो मैं ठीक से आप के पास आकर बैठ जाता हूँ। मैंने तकिया उठा कर इस तरफ रख लिया है वह इधर तकिए के पास आकर बैक गया है। अब वह बड़ा बेचैन है। वह कहता है कि अब वहां जरा दीवार से. टिक कर बैठना मुझे ठीक होगा। वह आकर दीवार से टिक कर बैठ गया है । वह तकिए की तलाश में है। मैंने तकिया उठा कर आलमारी में बंद कर दिया है। पन्द्रह मिनट अब पूरे हुए जाते हैं और वह बेचैन है, बिल्कुल तड़फ रहा है। और कहता है चावी दीजिए उस आलमारी में मेरा फाउन्टेनपेन रखा हुआ है। तकिए के लिए अब वह कैसे कहे ? वह खुद भी नहीं सोच पा रहा है कि तकिए के लिए मैं कैसे कहूँ। हम सब बैठे हैं । उसको चाबी दे दी गई है । उसने जाकर ताला खोला है । वह सब तरफ देख रहा है । फाउन्टेनपेन उठाता है और झुक कर तकिए को चूम लेता है। और एकदम मुक्त हो जाता है। अब उससे पूछते हैं तुम यह क्या करते हो। वह एकदम रोने लगता है और कहता है कि मेरी समझ के बाहर है कि मैं क्या कर रहा हूँ लेकिन वह परेशान है। उस तकिए से मेरा क्या हो गया है। लेकिन मैं उसको चूम कर बड़ा हल्का हो गया हूँ। तकिए के प्रति एक यह हालत पैदा की जा सकती है। किसी भी चीज के प्रति हिप्नोसिस की जा सकती है।
प्रकृति ने मैथुन के साथ एक हिप्नोसिस डाली हुई है, एक सम्मोहन मला हुआ है उसी सम्मोहन के प्रभाव में सारा खेल चलता है। इसलिए बादमी बिल्कुल अपने को विवश पाता है। जब एक सुन्दर चेहरा उसे खींचता है तो वह अपनी सामर्थ्य में, होश में नहीं है, बिल्कुल बेहोश है। इस सम्मोहन (हिप्नोसिस) को तोल जाए और इसको तोड़ने की विधियाँ हैं । और सबसे बड़ी