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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-१२
उत्तर : सब गांव में किया जा सकता है, तो नक्षत्र बदल जाएंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यानी एक गांव बदलता है या दूसरा गांव यह सवाल नहीं। अगर पूरी पृथ्वी पर हम सौ साल की उम्र तय कर लें तो इस पृथ्वी पर सौ साल से कम पैदा होने वालों का उपाय बन्द हो जाएगा। उनको दूसरे नक्षत्र चुनने पड़ेंगे।
प्रश्न : तब तो फिर दूसरे जन्म तक कर्म गया?
उत्तर : मेरा मतलब नहीं समझे। दूसरे जन्म तक तुम जाओगे और तुमने जो किया है, तुमने जो भोगा है उसी से तुम निर्मित हुए हो इसको भी ठीक समझ लेना जरूरी है। समझ लो मैंने पानी बहाया इस कमरे में। एक गिलास पानी लुड़का दिया। पानी बहा, उसने एक रास्ता बनाया, दरवाजे से निकल गया। फिर पानी बिल्कुल चला गया। धूप आई। सब सूख गया। सिर्फ एक सूखी रेखा रह गई। पानी नहीं है बिल्कुल अब । लेकिन पानी जिस मार्ग से गया था वह मार्ग रह गया है। आपने दूसरा पानी उलटाया। अब इस दूसरे पानी की हजार सम्भावनामों में निन्यानवें सम्भावनाएं यह है कि वह उसी मार्ग को पकड़ ले क्योंकि उसमें न्यूनतम प्रतिरोष है, झगड़ा ज्यादा नहीं है। दूसरा मार्ग बनाना हो तो फिर धूल हटानी पड़ेगी, कचरा हटाना पड़ेगा तब पानी मार्ग बना पाएगा। बना हुआ मार्ग है । यह पानी उस मार्ग को पकड़ लेगा और उसी मार्ग से बह जाएगा। पुराना पानी नहीं रह गया था सिर्फ सूखी रेखा रह गई थी। __ मेरा कहना है कि एक जन्म से दूसरे जन्म में कर्म के फल नहीं जाते । लेकिन कर्म और फल जो हमने किए और भोगे, उनकी एक सूखी रेखा हमारे साथ रह जाती है। उसको मैं संस्कार कहता हूँ । कर्म फल दूसरे जन्म में नहीं जाते। मैंने पिछले जन्म गाली दी थी तो फल वहीं भोग लिया था। लेकिन गाली दी थी मैंने और तुमने नहीं दी थी तो मैंने गाली का फल भोगा, तुमने' वह फल भी नहीं भोगा। तो मैं एक और तरह का व्यक्ति हूँ। मेरे पास एक सूखी रेखा है गाली देने और गाली का फल भोगने की। वह सूखी रेखा मेरे साथ है। इस जन्म में मेरे साथ सम्भावना है कि कोई गाली दे तो मैं फिर गाली दूं क्योंकि वह सूखी रेखा जो है, न्यूनतम प्रतिरोध की वजह से मैं फौरन उसे पकड़ लूंगा। कल रात हम सब लोग सो जाएं। आप अलग ढंग से जिए । मैं अलग ढंग से जिया । जो मैं जिया वह गया। आप जो जिए वह भी गया। लेकिन उसकी सूखी रेखाएं साथ रह गई।