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महावीर : मेरी दृष्टि में
कल्पना के बाहर है कि परमात्मा से खिलौने मांगे जाएं। लेकिन बच्चे की समझ से यह बाहर है कि खिलौने जैसी बढ़िया चीज भगवान् से क्यों नहीं मांग लेते । सबूत हो जाएगा कि कैसा भगवान् है ? कैसी शक्ति है ? खिलौने जब तक हमें सार्थक हैं तब तक हमें लगता है कि अगर भगवान् मिल जाए तो हम खिलौने ही मांग लें। अगर संकल्प जग जाए तो घन ही ले लें । मगर यह भी ध्यान रहे कि ऐसे चित्त में संकल्प जगेगा भी नहीं । और फिर भी ऐसा नहीं है कि तुम एकहरा व्यक्तित्व लेकर पैदा होते हो । अनन्त सम्भावनाएँ लेकर तुम पैदा होते हो ।
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एक बच्चा पैदा हुआ । उसके संन्यासी होने की सम्भावना है क्योंकि उसने संन्यासी होने की भी एक रेखा डाली हुई है । उसके बदमाश होने की भी सम्भावना है क्योंकि उसने वह भी रेखा बांधी हुई है । वह अनन्त सम्भावनाएं लेकर पैदा हुआ है । अनन्त सूखी रेखाएँ उसे आमंत्रित करेंगी । अब जो रेखा प्रबल सिद्ध हो जाएगी उसमें वह जाएगा । तो हमारी सारी कठिनाई यह है कि नियम जो हैं, उन्हें जब समझाता है कोई तो वे सोधी रेखा में होते हैं । और जिन्दगी जो है, वह बहुत सी रेखाओं की काट-पीट है । जब मैं समझाने बैठता हूँ और जब तुम एक नियम समझ लेते हो तब तत्काल तुमको दूसरा ख्याल आ जाता है कि उसका क्या होगा । और उपाय नहीं है कोई भी इकट्ठा समझाने का । अगर मैं क्रोध समझाऊँगा तो क्रोध समझाऊँगा, घृणा समझाऊँगा तो घृणा समझाऊँगा, प्रेम समझाऊँगा तो प्रेम समझाऊँगा, दया समझाऊंगा तो दया समझाऊँगा और तुम एक साथ सब हो - दया भी, प्रेम भी, घृणा भी, क्रोध भी । तुम्हारी सब सम्भावनाएँ हैं । कोई तुम्हें प्रेम से बात करेगा, तुम प्रेमपूर्ण हो जाओगे । कोई छुरी दिखाएगा, तुम क्रोषपूर्ण हो जाओगे । तुम सब हो । क्योंकि व्यक्ति है अनन्त कारणों से भरा हुआ । और जब हम समझाने बैठते हैं तो एक ही कारण को चुनना पड़ता है । भाषा रेखाबद्ध है । जिन्दगी अनन्त रेखाओं का जाल है। इसलिए भाषा में बहुत मूल होती है क्योंकि भाषा सीधी जाती है एक रेखा में। मैं करुणा समझाऊँगा तो करुणा समझाता चला जाऊंगा । अब करुणा के साथ ही साथ एकदम से क्रोध कैसे समझाऊँ, घृणा कैसे समझाऊँ ? वह समझाना मुश्किल है । फिर उनको अलग-अलग समझाऊंगा । ये सब अलगअलग रेखाएँ बन जाएंगी । व्यक्ति में ये सब रेखाएं अलग-अलग नहीं हैं, सब इकट्ठी जुड़ी खड़ी हैं ।
प्रथम : अगर कोई बलवान् रेला है उसके कर्म करने को, अब उससे जो कमजोर रेला है उसकी छाया उसमें साथ आएगी या नहीं ?