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वर्षा हो रही है कि बादल जा रहे हैं कि हवाई जहाज है, कि दुश्मन है, कि क्या है? वह सब चित्र आ रहा है।
मनुष्य की जो तीसरी आँख है, वह रागर से भी अद्भुत है। उसमें कोई स्थान और काल का सवाल ही नहीं। वहां दो सौ मील का सवाल नहीं है। वह एक बार सक्रिय हो जाए तो कहीं भी क्या हो रहा है उसके प्रति ध्यानस्थ होकर उस होने को तत्काल पकड़ सकती है। आगे क्या होगा, उसकी बहुत सी सम्भावनाएं भी पकड़ी जा सकती हैं । पीछे क्या हुआ है, ये सम्भावनाएं भी पकड़ी जा सकती है। मस्तिष्क का एक और हिस्सा है जो अगर सक्रिय हो जाए तो हम दूसरे के मन में क्या विचार चल रहे हैं, उनकी सलक पा सकते हैं। और हमारे मन में जो विचार चल रहे हैं अगर हम उन्हें बिना वाणी के दूसरे में डालना चाहें तो वह भी हो सकता है । सवाल है कि मस्तिष्क के हमारे और हिस्से कैसे सक्रिय हो जाएँ? मस्तिष्क का एक हिस्सा है जो सक्रिय होने से देवलोक से जोड़ देता है। उस जुड़ जाने के बाद हम खुद भी मुश्किल में पड़ जाएंगे क्योंकि हम दूसरे को बता नहीं सकते कि यह हो रहा है।
.स्विटनबोर्ग एक अद्भुत व्यक्ति हुआ। बाठ सौ मील दूर एक मकान में आग लग गई है बारह बजे और वह किसी मित्र के घर ठहरा हुआ है। वह एकदम चिल्लाया है : पानी लाओ, माग लगी है. भागा और बाल्टी पर पानी लेकर आ गया। मित्रों ने कहा, 'कहाँ आग लगो है।' उसने कहा, 'अरे' बड़ी भूल हो गई।' बाल्टी नीचे रख दी। आग तो बहुत दूर लगी है। लेकिन जब मुझे दिखी तो मुझे ऐसा लगा कि यहीं लगी है। वह तो आठ सौ मील दूर लगी है। वह तो वियना में लगी है। फला-फलां घर बिल्कुल जला जा रहा है। मित्रों ने कहा कि आठ सौ मील दूर का फासला है यहां से कैसे तुम्हें दिख सकता है ? उसने कहा : मुझे दिखता है बिल्कुल जैसे कि यहां आग लगी हो । मुझे दिख रहा है। तीन दिन लग गए खबर लाने में। लेकिन ठीक जिस जगह उसने बताया था वहीं तक आग लगी थी, आगे नहीं लगी थी। उसने देवताओं के सम्बन्ध में बहुत अद्भुत बातें कही है । यूरोप में वेवलोक के बारे में जानकारी रखने वाला यह पहला मादमी है। उसने एक किताब लिखी : स्वर्ग और नरक। और यह बड़ी अद्भुत किताब है। इसमें उसने मांखों देखे वर्णन दिए है। लेकिन उन पर तो भरोसा करने की बात नहीं उठती क्योंकि हमारे लिए वह सब निरर्थक है।