________________
महावीर : मेरी दृष्टि
टटोलना शुरू करता है। ऐसे वर्षों बीत जाते हैं और वह अन्धा आदमी बारगार उस खुले द्वार के पास से माकर चूक जाता है।
यह एक कहानी है। हजारों जन्मों तक हम समय के द्वार को टटोलते हुए धूम रहे है कि कहाँ से द्वार मिल जाए मोक्ष का, कहाँ से द्वार मिल जाए जीवन का, कहां से द्वार मिल जाए आनन्द का। टटोलते माते हैं मगर या तो हम बन्द द्वार टटोलते हैं जो अतीत के है जो बन्द हो चुके हैं या हम भविष्य के द्वार टटोलते हैं जो है ही नहीं। जो है नहीं उनको हम टटोल नहीं सकते; जो नहीं हो गए हैं उनको भी हम टटोल नहीं सकते। लेकिन एक द्वार जो खुला है वर्तमान का, वह बार-बार चूक जाता है। उस वक्त या तो हम माथा खुजाने लगते हैं या कुछ और करने लगते हैं और वह चक जाता है। मतलब यह कि जब भी उस द्वार पर हम बाते हैं, हम किसी और चीज में व्यस्त होते हैं । वर्तमान के क्षण में हम सदा व्यस्त हैं, इसलिए चूक जाते हैं । इसलिए सामायिक का अर्थ है अव्यस्त होना। कुछ भी नहीं कर रहे हैं, कुछ भी नहीं सोच रहे है तो ही उस समय को हम पकड़ पाएंगे क्योंकि हम कुछ कर रहे हैं तो चूक जाएंगे। उतनी देर में तो वह निकल गया। वह निकलता हो चला जा रहा है।
महावीर ने यह नाम बड़े गहरे प्रयोजन से दिया है। वह तो यही कहने लगे कि समय ही आत्मा है और समय को जान लो, समय में खड़े हो जाआ. समय को पहचान लो और देख लो तो तुम अपने को देख लोगे, अपने को . पहचान लोगे । लेकिन समय को जानना ही बहुत मुश्किल बात है । सबसे ज्यादा कठिन है वर्तमान में खड़े होना क्योंकि हमारी पूरी आदत या तो पोछे होने की होती है या मागे होने की होती है। एक आदमी को पूछो कि तुम क्या कर रहे हो। या तो तुम उसे अतीत में पामोगे, या भविष्य में पाओगे । या तो वह उन दृश्यों को देख रहा है जो आ चुके हैं या उन दृश्यों की सोच रहा है जो आएंगे। लेकिन शायद ही कभी किसी व्यक्ति को पाओगे कि वह कहे कि मैं कुछ भी नहीं कर रहा हूँ। ऐसा आदमी नहीं मिलेगा। ऐसा आदमी मिल जाए तो समझना कि वह सामायिक में था उस वक्त । उस क्षण में वह कहीं भी व्यस्त नहीं था। बस पा। जब हम कुछ भी नहीं कर रहे हैं, बस है, कुछ भी नहीं कर रहे हैं, मंत्र भी नहीं जप रहे हैं, खास भी नहीं देख रहे हैं, सामायिक में है। जिसे मैं
खास देखने के लिए कहता हूँ वह सामायिक नहीं है। वह सिर्फ इसलिए कह रहा कि जिससे आपकी व्यर्थ को दूसरी व्यस्तताएं छूट जाएँ। एक हो व्यस्तता रह जाए कम से कम तब मैं कहूंगा कि इससे भी छलांग लगा जाएं। इतनी