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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-११
की पीड़ा ही अपने आप में इतनी सघन है कि वह आदमी को इससे उठने के लिए मजबूर कर देती है । आज नहीं, कल वह आदमी उठता है ।
तो मेरी दृष्टि यह है कि पापी को सम्भावनाएं धर्म के निकट पहुँचने की ज्यादा है अपेक्षाकृत उसके जिसको हम नैतिक व्यक्ति कहते हैं। और जिस दिन पापी धर्म की दुनिया में पहुंचते है वह उतनी ही तीव्रता में पहुँचता है जितनी तीव्रता से वह पाप में गया था। नीसे ने लिखा है : जब मैंने वृक्षों को आकाश छते देखा तो मैंने खोजबीन की। मुझे पता चला कि जिस वृक्ष को आकाश छना हो उस वृक्ष की जड़ों को पाताल छना पड़ता है। उसने लिखा है कि तब मुझे ख्याल आया कि जिस व्यक्ति को पुण्य की ऊंचाइयां छुनी हों उस व्यक्ति के भीतर पाप की गहराइयों को छूने को क्षमता चाहिए। अगर कोई पाप का पाताल छूने में असमर्थ है तो वह पुण्य का आकाश भी नहीं छू सकता क्योंकि ऊपर शिखर उतना ही जाता है जितना नीचे जड़ें जा सकती हैं। यह हमेशा अनुपात में जाता है। जिस घास की जड़ें भीतर बहुत गहरी नहीं जातीं वह घांस उतना ही ऊपर आता है जितनी जड़ें जाती हैं। तो पापी की गति बुरे की तरफ है लेकिन वह अच्छे की तरफ भी जा सकता है। तो मेरी दृष्टि में झूठी नैतिकता बाहर से थोपी गई है। परिणाम यह हुआ कि दुनिया में धर्म कम होता चला गया। अच्छा तो यही है कि आदमी सीधा हो चाहे वह पापी हो । बजाय झूठे, व्यर्थ के आडम्बर थोपने के वैसा ही हो जैसा है। इसमें बदलाहट की बड़ी सम्भावना है कि जैसा वह है, बगर वह दुखद है तो बदलेगा। करेगा क्या ? लेकिन पाखण्डी आदमी ने तो व्यवस्था कर ली है। जैसा है वह छिपा लिया है। जैसा नहीं है वह व्यवस्था कर ली है उसने । समाज से आदर भी पाता है, सुख भी पाता है, सम्मान भी पाता है और जैसा है वैसा वह है । इसलिए जो गलत होने की पीड़ा है, वह भी नहीं भोग पाता। वही पीड़ा मुक्तिदायी है। - तो मेरी दृष्टि में पाखण्डी समाज से सीधा ऐन्द्रिक समाज ज्यादा अच्छा है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि पश्चिम में धर्म के उदय की सम्भावना है, पूरब में, नहीं है। इसको मैं भविष्यवाणी कह सकता हूँ कि आने वाले सौ वर्षों में पश्रिम में धर्म का उदय होगा और पूरब में धर्म.प्रतिदिन क्षीण होता चला जाएगा क्योंकि पूरब पाखण्डी है और पश्चिम साफ है। पश्चिम बुरा है मगर साफ है। यह साफ बुरा होना पीड़ा देने वाला है। और उस पीड़ा से उसको बाहर भी निकलना पड़ेगा । पाखण्डी का चूरा बच्न होना पीड़ा भी नहीं बनता।