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परपोतलवचन
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वस्त्र अलग-अलग तरह से काम करता है। सूती वस्त्र अलग तरह से तोड़ता है, रेशमी वस्त्र अलग तरह से तोड़ता है, ऊनी वस्त्र अलग तरह से तोड़ता है। जिनमें प्लास्टिक मिला हुआ है या कांच मिला हुआ है, वे वस्त्र और तरह से तोड़ते हैं । जिस व्यक्ति को ब्रह्माण्ड से संयुक्त होना है, उसके लिए किसी तरह के भी वस्त्र बाधा बन जाएंगे। महावीर को नग्नता उनके ज्ञान का हिस्सा है, चरित्र का हिस्सा नहीं है । उनको यह साफ समझ में पड़ रहा है कि उन्हें जो कुछ अभिव्यक्त करना है वह ब्रह्माण्ड से एक होकर ही किया जा सकता है। __ जैसे हम जानते हैं कि कितनी छोटी-छोटी चीजों से फर्क पड़ता है। भार एक रेडियो लगाए हुए हैं। सब दरवाजे बन्द कर दें, हवा बिल्कुल न आए, एयर कण्डोशन कमरा हो तो आपका रेडियो बहुत मुश्किल से पकड़ने लगेगा क्योंकि जो लहरें आ रही हैं उन पर बाधा पड़ रही है। एयर कण्डीशन कमरे में उसको काम करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि हवा बाहर से नहीं आ रही है, सब बन्द है । सम्पर्क बाहर की तरंगों से टूट गया है। जितने खुले में आप रख रहे हैं उतना उसका सम्पर्क बन रहा है। या तो उसे खुले में रखें या एक एरियल बाहर खुले में लगाएं ताकि एरियल पकड़े और भीतर तक खबर पहुंचा दे.। समझ लो कि हमें कोई ज्ञान न हो रेडियो शास्त्र का तो हम कहेंगे कि यह क्या बात है ? रेडियो को बाहर रखने की क्या जरूरत है, एरियल को बाहर लटकाने की क्या जरूरत है ? अपने घर में रखो, अपने घर में अन्दर एरियल लगा लो, सब तरफ द्वार दरवाजे बन्द कर लो।
मनुष्य के शरीर से प्रतिक्षण कम्पन बाहर जा रहे हैं और प्रतिक्षण कम्पन भीतर मा रहे हैं। महावीर नग्न होकर एक तरह का तादात्म्य साध रहे है उस सारे जगत् से जहां वस्त्र भी बाषा बन सकता है। वस्त्र बाधा बनता है और प्रत्येक वस्त्र अलग तरह की बाषा और सुविधा देता है। जैसे रेशमी वस्त्र है। अब आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह जो रेशमी वस्त्र है, वह बल्दी आपके शरीर में कामवासना को पहुंचाता है बजाय सूती वस्त्र के। रेशमी वस्त्र पहने हुए स्त्री ज्यादा काम को उत्तेजित करेगी। उसी स्त्री को सूती या सादो पहना दो तो वह काम को कम उत्तेजित करेगी। रेशमी वस्त्र उसके शरीर से और शरीर के चारों तरफ से जो कामवासना की लहरें पल रही हैं, उनको खल्दी से जल्दी पकड़ रहा है। यह स्त्रियों को बहुत पहने समझ में ना गया है कि रेशमी वस्त्र किस तरह उपयोगी है।