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प्रवचन-७
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हैं, अर्थ वह खुद खोजता है। तब बड़ी मुश्किल हो जाती है। तब उसको सब व्याख्याएं खड़ी हो जाती हैं । व्याख्याओं पर व्याख्याएं खड़ी हो जाती है। "
जैसा मैंने कहा कि महावीर शायद अकेले व्यक्ति है जिन्होंने न मालूम कितने पशुओं, न मालूम कितने पक्षियों, न मालूम कितने पोषों को आमन्त्रित किया है मनुष्य की तरफ। दूसरी बात भी समझ लेनी जरूरी है। वही शायद ऐसे अकेले व्यक्ति हैं और लोगों ने भी शायद चेष्टा को है, बहुत लोगों ने सफलता पाई है जिन्होंने देवताओं को भो ममुष्य की तरफ आकर्षित किया है। इस पर हम पीछे बात करेंगे। मनुष्यों से कैसे सम्प्रेषण हुमा है, देवताओं में कैसे सम्प्रेषण हो सकता है, वह हम फिर बात करेंगे। बारह वर्ष की पूरी साधना अभिव्यक्ति, संप्रेषण की साधना है। कैसे पहुंचाया जा सके जो पहुँचाना है ? और जैसे ही उसकी साधना पूरी हो गई है, उन्होंने छोड़ दी है और वह पहुंचाने के काम में लग गए हैं। दो छोटे सूत्र ख्याल में रख लेने चाहिए। पशु के पास संप्रेषण करना है वो मूक होना पड़ेगा। मूक का मतलब यह कि वाणी खो देनी पड़ेगी; वह रह हो नहीं जाएगी भीतर । करीब-करीब मूच्छित
और जड़ जैसा मालूम पड़ने लगेगा व्यक्ति । लेकिन शरीर जड़ होगा, मन जड़ होगा, मगर भोतर चेतना पूरी जागी होगी। अगर मनुष्य से संबन्ध जोड़ना है तो दो उपाय हैं : जो मनुष्य साधना से गुजरे उसके साथ बिना शब्द के संबंध जोड़ा जा सकता है क्योंकि साधना से गुजर कर उसे उस हालत में लाया जा सकता है नहीं देवता होते हैं। तब वह मौन में समझ सकता है। जैसे मैंने कल कहाँ कि महाकाश्यप को बुद्ध ने कहा कि वह मैंने तुझे दे दिया है जो मैं शब्दों से दूसरे को नहीं दे सका हूँ। या फिर वाणी है जो सीधी उनसे कही जाय। वह उसे सुने, समझे। लेकिन, वह नहीं समझ पाता है। इसलिए महावीर की कथा यह है कि महावीर कहते हैं, गणधर सुनते हैं, गणधर लोगों को समझाते हैं। यह बड़ा खतरनाक मामला है महावीर किसी को कहते हैं, वह सुनता है । फिर वह जैसा समझता है, व्याख्या करके लोगों को समझाता है। बीच में एक मध्यस्थ खड़ा होता है और महावीर है सीधा संबंध नहीं हो पाता क्योंकि हम शब्दों को समझ सकते है। अनुभूतियों को नहीं और या फिर हम अनुभूतियों में प्रवेश करें, ध्यान में जाएं, समाधि में उतरें और उस जगह सड़े हो जाएं जहाँ शब्द के बिना तरंगें पकड़ी जा सकती हों। एक रास्ता वह है, नहीं तो फिर मध्यस्थ होंगे, व्याख्याएं होंगी, शब्द होंगे-सब बदल जाएगा, सब सो जाएगा।