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महावीर । मेरी दृष्टि में
जो भी शास्त्र निर्मित है, वे बादमियों के बोले गए शब्दों द्वारा निर्मित है। 'वे शब्द भी सीधे महावीर के नहीं हैं। वे शब्द भी टीकाकारों के हैं। और फिर हमने अपनी समस बोर वृद्धि के अनुसार उसको संगृहीत किया है, अपनी व्याख्या की है। और इसलिए सब लड़ाई झगड़ा है, सब उपद्रव है। महावीर ने मौन में क्या कहा है उसे पकड़ने की जरूरत है। या उन्होंने जिनसे मौन से बोला जा सकता था, उन देवताबों से क्या कहा है, उसे पकड़ने की जरूरत है या जिनके साथ शब्द का उपयोग असम्भव था, उन पक्षियों, पोषों, पत्थरों को क्या कहा, उसे पकड़ना जरी है। और जो मैंने पहले दिन कहा वह सब किसी गहनतम अस्तित्व की बहराइयों से सुरक्षित है। वह सब वापिस पकड़ा जा सकता है। सिर्फ मन की एक अवस्था में हमें उतरना पड़ेगा जहां हम फिर उसे पकड़ सकते हैं।