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महावीर : मेरी दृष्टि में
भाशा थी बुढ़ापे की, वही भविष्य था। वह सम्राट् न सो पाता है, न जग पाता है, बेचैन है, परेशान है। और चिकित्सकों ने कह दिया है कि आज रात बेटे के बचने की कोई उम्मीद नहीं । सम्राट् उसी के पास कुर्सी रखे बैठा है । कब स्वांस छूट जाए कुछ पता नहीं। जितनी देर स्वांस रह जाए उतना ही अच्छा है। कई दिन का जगा है । उस रात दो बजे सम्राट् को नींद लग गई है । और उसने सपना देखा है कि उसके बारह बेटे हैं। इतने सुन्दर, इतने स्वस्थ जैसे कभी देखे नहीं थे, जैसे कभी किसी के हुए नहीं। बड़ा चक्रवर्ती सम्राट् है; सारी पृथ्वी का राजा है । अद्भुत स्फटिक के महल है, स्वर्ण पथ हैं, सुन्दर नारियाँ हैं, सुन्दर पलियाँ हैं। सब सुख है । कोई कमी नहीं। और तभी वह बेटा जो बीमार पड़ा है, मर गया है। राजा की पत्नी चिल्ला कर रोई है, राजा चुपचाप बैग रह गया है। थोड़ी देर चुप रहा है। फिर हंसने लगा है, फिर रोने लगा है, फिर हंसने लगा है। उसकी पत्नी ने कहा : आपको क्या हो गया है। आप पागल तो नहीं हो गए। उसने कहा पागल ? कह नहीं सकता । पहले पागल था कि अब पागल हो गया हूँ। मैं बड़ी मुश्किल में पड़ गया हूँ। रानी ने कहामुश्किल की क्या बात है। वेटा मर गया है, यह बड़ी मुश्किल है। राजा ने कहा-अब यह सवाल नहीं रहा। अब मैं बड़ी दिक्कत में हैं कि मेरे बारह बेटे मर गए, उनके लिए रोऊँ कि मेरा एक बेटा मर गया, उसके लिए रोऊँ ? मैं रोऊँ किसके लिए ? या तेरह के लिए इकठ्ठा रोऊँ ? तेरह के लिए इकट्ठा रोना बड़ा मुश्किल है क्योंकि तेरह होते नहीं। वे बारह एक सपने के वे और जब मैं उस सपने में था तब वह था ही नहीं लड़का। कहाँ गया था मुझे पता नहीं। खो गया था। और जब जग गया है तो यह एक ही बचा है और वे बारह खो गए हैं। और जैसे उन बारह के साथ यह एक भूल गया था, वैसे इस एक के साथ वे बारह भूल गए हैं। क्या यह सच है, क्या झूठ है, मैं इस मुश्किल में पड़ गया हूँ। रोऊँ तो किसके लिए ? उन बारह के लिए रोऊ, या इस एक के लिए या तेरह के लिए ? और तेरह का जोड़ नहीं बनता। या फिर किसी के लिए न रोऊँ क्योंकि एक सपना बनता है, एक छूट जाता है; दूसरा बनता है। दूसरा छूट जाता है, तीसरा बनता है, तीसरा छुट जाता है। रोऊँ किसके लिए? अब पागल नहीं हूँ।
तो इस राजा को हम यह न कहेंगे कि उसने बेटे का मोह त्याग दिया। नहीं, यह बात ही व्यर्थ हो गई अब । अब हम यह न कहेंगे कि वह अनासक्त हो गया, निर्मोही हो गया। नहीं, हम यह कुछ भी न कहेंगे । अब हम सिर्फ इतना