________________
૪
महावीर । मेरो दृष्टि में
सकते हैं लेकिन अगर वहीं रुक गए तो सदा के लिए वहीं अटक सकते हैं । और हमारी आंखें तथ्यों को ही देखती हैं। असल में में पदार्थवादी उसको कहता हूँ जो तथ्यों को ही देखता है ।
6
मेरी दृष्टि में भौतिकवाद का कोई मतलब नहीं है— जो तथ्यों को ही देखता है, जो कहता है इतना रहा तथ्य, बाकी सब झूठ है । यह तथ्य को गिना लेता है और कहता है कि इसके आगे कुछ भी नहीं है । लेकिन मजे की बात यह हैं कि तथ्य सत्य की सबसे बाहरी परिधि है, सबसे बाहरी परकोटा है । जो भी है उसके भीतर और जितने हम गहरे भीतर जाएंगे उतना तथ्य छूटता चला जाएगा और सत्य निकट आता जाएगा । इसीलिए सत्य को कहने की भाषा तथ्य की नहीं हो पाएगी । सत्य को कहने के लिए नई भाषा खोजनी पड़ेगी जो प्रतीकात्मक है | सत्य को तभ्य की भाषा में नहीं कहा जा सकता, कहें तो इतिहास बन जाता है । अब जैसे कि यह बात है कि महावीर कभी बूढ़े नहीं हुए, न कोई दूसरा तीर्थंकर कभी बूढ़ा हुआ । न बुद्ध कभी बूढ़े हुए । न राम, न कृष्ण । इनकी कोई बुढ़ापे की मूर्ति आपने कभी देखी कि ये बूढे हो गए हैं ? तो क्या मामला है ? क्या ये लोग जबान ही रह गए ? जवानी के आगे नहीं गए ? गए तो जरूर होंगे। यह तो असम्भव है कि न गए हों । तथ्य यही होगा कि महावीर को बूढ़ा होना पड़ेगा, बूढ़े हुए होंगे। जब मरना पड़ता है तो बूढ़ा होना पड़ेगा। लेकिन सत्य यह कहता है कि वह आदमी कभी बूढ़ा नहीं हुआ होगा । जो उसने पा लिया है, वह इतना युवा है, वह इतना सदा योवन है कि वहाँ कैसा बुढ़ापा ? जिन लोगों ने तथ्य पर जोर दिया होगा वे महावीर की बूढ़ी मूर्ति अंकन भी करते । लेकिन सत्य पर जिन्होंने आँख रखी तो फिर गाथा ( मिथ) बनानी पड़ी कि महावीर कभी बूढ़े नहीं होते ।
अब कभी आपने ध्यान दिया कि ये कोई भी तीर्थंकर कभी बूढ़े नहीं हुए । यह युवा होने की सम्भावना कहाँ है ? तथ्य में तो नहीं है, इतिहास में तो नहीं है लेकिन गाथा ( मिथ ) में है । इसीलिए मैं कहता हूँ कि इतिहास से ज्यादा गहरी घुस जाती है माइथोलॉजी ( गाथाशास्त्र ) । उसकी पकड़ ज्यादा गहरी है । लेकिन उसको कहने के लिए तथ्य छोड़ देने पड़ते हैं और कहानी गढ़नी पड़ती है कि नहीं, नहीं, कृष्ण कभी बूढ़े नहीं होते । बच्चे होते, जवान होते हैं, बस फिर ठहर जाते हैं, फिर बूढ़े नहीं होते । असल में जो चित्त जो चित्त सत्य को जान गया है, वह कैसे वृद्ध होगा ? वह कैसे क्षीण होता ही नहीं । वह सदा के लिए उस हरियाली को पा गया है जो अब
सदा नया है और
क्षीण होगा ? वह