________________ (50) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध सरसव का एक यव होता है। तीन यव की एक गुंजा होती है। तीन गुंजा का एक वाल होता है। सोलह वाल का एक गदियाणा होता है। दस गदियाणों का एक पल होता है। डेढ सौ पल का एक मण होता है। दस मण की एक धड़ी होती है और दस धड़ी का एक भार परिमाण होता है। ऐसे अर्द्धभार से जो पुरुष तौला जाता है; उस पुरुष को उन्मानोपेत (मानरहित) जानना। इस प्रकार पौने चार मन उन्मान के होते हैं। जिस पुरुष का शरीर उसके अपने अंगुल के नाप से एक सौ आठ अंगुल का होता है, उसे उत्तम पुरुष जानना। इसमें बारह अंगुल का मुख होता है। बारह को नौ से गुणा करने पर एक सौ आठ होते हैं। ऐसे पुरुष को मानोपेत जानना। जिसका शरीर छियानबे अंगुल का होता है; उसे मध्यम (सम) पुरुष जानना। जिसका चौरासी अंगुल का शरीर होता है, उसे हीन पुरुष जानना तथा तीर्थंकर का तो एक सौ बीस अंगुल का शरीर होता है, क्योंकि तीर्थंकर के सिर पर बारह अंगुल की उष्णीश-शिखा राखडी के स्थान पर होती है। ___ इसलिए ऐसे सर्वांग-सुन्दर, चन्द्रमासमान सौम्य आकार वाले, जिसका दर्शन मनोहर प्रीतिकारक है, ऐसे सुरूपवान देवकुमार समान पुत्र को तुम जन्म दोगी। वह बालक कैसा होगा सो कहते हैं- वह पुत्र युवान अवस्था प्राप्त करने के बाद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ये चार वेद तथा पाँचवाँ इतिहास-पुराण-शास्त्र, छठा नामकोश-निघंटु-नाममाला इन सब छह शास्त्रों का अंग-उपांग सहित तात्पर्य जानने वाला होगा, चार वेद पढ़ाने वाला होगा, जो भूलेगा उसे बताने वाला भूल दिखाने वाला होगा, झूठ बोलने वाले को रोकने वाला होगा, शुद्ध को धारण करने वाला होगा, पारगामी होगा, छह अंगों का जानकार होगा, साठ अर्थ हैं जिसके ऐसे सष्टितंत्र-शास्त्र और कपिलशास्त्र का जानकार होगा, गणितशास्त्र का जानकार होगा, अक्षरशिक्षा में निपुण होगा। इसी प्रकार वह क्रियाशास्त्र में निपुण, व्याकरण का जानकार, छन्द जोड़ने में दक्ष, टीका का जानकार, ज्योतिषशास्त्र