________________ (300) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध देवलोक में अपने स्थान पर गया। सब यादव मिलजुल कर द्वारिका नगरी में बस गये। यहाँ यादवों के परिवार बढ़ने लगे। पचास वर्ष की अवधि में अठारह कुल कोड़ि यादवों से बढ़ कर छप्पन्न कुल कोड़ि यादव हो गये। ऐसे अवसर पर राजगृही नगरी में रत्नकंबल के कुछ व्यापारी पहुंचे। उनका माल वहाँ नहीं बिका। इसलिए वे कहने लगे कि इस नगरी में माल बिकता नहीं है। सत्वहीन निर्धन लोगों से यह नगरी भरी हुई है। हमारे रत्नकंबल खरीदने वाला भी कोई यहाँ नहीं मिला। सचमुच द्वारिका जैसी कोई नगरी नहीं है। वहाँ रहने वाले यादव महासुखी हैं। इस तरह द्वारिका नगरी की प्रशंसा सुन कर जरासंध ने सोचा कि मेरे बैरी अभी तक जीवित हैं। उनका नाश करना चाहिये। यह सोच कर सेना ले कर वह युद्ध के लिए रवाना हुआ। इतने में नारदऋषि ने आ कर श्रीकृष्ण से कहा कि चेतना हो, तो तुम चेत जाओ। जरासंध तुम पर आक्रमण करने के लिए आ रहा है। यह सुन कर श्रीकृष्ण भी सेना ले कर उसका मुकाबला करने के लिए चले। उन्होंने पंचासरा गाँव के पास पड़ाव डाला। जरासंध की सेना ने भी पंचासरा से चार योजन दूरी पर मुकाम किया। जरासंध की सेना ने चक्रव्यूह की रचना की और श्रीकृष्ण की सेना ने गरुडव्यूह की रचना की। इन दोनों सेनाओं में बड़ा भारी युद्ध हुआ। लाखों सैनिक मारे गये। इत्यादि विशेष अधिकार श्री नेमिनाथचरित्रादि ग्रंथों से जान लेना। यहाँ ग्रंथगौरव के भय से नहीं लिखा है। फिर जरासंध ने सोचा कि इन सैनिकों की लड़ाई चलते श्रीकृष्ण को जीतना कठिन है। यह सोच कर उसने अन्य कोई उपाय न सूझने से, जरा नामक बाण श्रीकृष्ण की सेना पर छोड़ा। इससे उनकी सेना खून का वमन करती हुई मूर्छित हो गयी। तब श्री नेमिनाथजी के कहने से श्रीकृष्ण ने अट्ठम तप कर के धरणेन्द्र की आराधना की। धरणेन्द्र ने प्रत्यक्ष हो कर आगामी तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा श्रीकृष्ण को अर्पण की। वहाँ मंगल के निमित्त श्रीकृष्णजी ने सुस्थितदेव द्वारा दिया गया शंख बजाया और धरणेन्द्र द्वारा दी गयी प्रतिमा की स्थापना की। इससे श्री शंखेश्वर नामक तीर्थ हुआ। यह तीर्थ आज भी मौजूद है। कोई कोई आचार्य ऐसा भी कहते हैं कि श्रीकृष्णजी तीन दिन तक उपवास कर के बैठे। इन तीन दिनों तक श्री नेमिनाथस्वामी ने संग्राम किया। इन्द्र महाराज ने मातली नामक सारथी सहित रथ भेजा। उस रथ पर चढ़ कर उन्होंने शंख बजाया। इससे जरासंध की सेना शिथिल हो गयी। श्रीकृष्ण ने तीन दिन तक श्री