Book Title: Kalpsutra Balavbodh
Author(s): Yatindravijay, Jayantsensuri
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 419
________________ (386) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध नंदराय मारी करी, सिरियो रज्ज ठवेसि।।१।। वे लड़के यह दोहा गाते हुए राजा के महल के पास से निकले। राजा ने भट्ट से पूछा कि यह बात कैसे हो सकती है? तब भट्ट ने कहा कि आप जाँच करवाइये। सब प्रकार के शस्त्र तैयार हो रहे हैं। राजा ने जाँच कराई। युद्धसामग्री देख कर वह कुपित हुआ और उसने निश्चय किया कि शकटाल के पूरे परिवार को मरवा डालना चाहिये। ___यह बात शकटाल ने जानी, तब वह राजा के पास आया। उसे देख कर राजा ने मुँह फेर लिया। तब प्रधान ने घर लौट कर श्रीयक से कहा कि तू मेरी बात सुन। जब मैं जा कर राजा को नमस्कार करूँ, उस समय तू मेरा . मस्तक तलवार से काट देना। यह बात बड़ी कठिनाई से श्रीयक ने मान्य की। फिर शकटाल ने राजा को प्रणाम किया, तब राजा ने मुँह फेर लिया। फिर प्रधान ने अपने मुख में तालपुट विष डाल दिया। उस समय श्रीयक ने कहा कि जो राजा का द्वेषी होता है, उसे तो मारना ही चाहिये। यह कह कर उसने तलवार चलायी। इससे मस्तक कट गया। .. ___ राजा ने बहुत खेद कर के फिर श्रीयक से कहा कि तुम्हारे पिता का अधिकार तुम ग्रहण करो। तब श्रीयक ने कहा कि मेरे बड़े भाई स्थूलिभद्र हैं, उन्हें यह अधिकार देना चाहिये। राजा ने पूछा कि वह कहाँ है? तब श्रीयक ने कहा कि मेरा भाई बचपन में शास्त्र पढ़ने में कालनिर्गमन करता था। उसका विवाह हुआ था, पर वह अपनी स्त्री के पास जाता नहीं था। इससे मेरे माता-पिता ने जाना कि वह संसार की कला नहीं सीखेगा। यह सोच कर उन्होंने उसे कला सिखाने के लिए कोशा वेश्या को सौंप दिया। इस बात को बारह वर्ष हो गये हैं। वह वेश्या के यहाँ लुभा गया है। बारह करोड़ सुवर्णमुद्राएँ खर्च हो गयीं। इसलिए उसे बुला कर अधिकारी बनाइये। ___राजा ने स्थूलिभद्र को बुलाने के लिए छड़ीदार भेजा। तब वेश्या ने. स्थूलिभद्र से कहा कि आप राजा के पास मत जाइये। यदि आप जायेंगे, तो वह आपको मेरे पास आने नहीं देगा और मुझसे भी आपके बिना किसी

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