Book Title: Kalpsutra Balavbodh
Author(s): Yatindravijay, Jayantsensuri
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 470
________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (437) उदायी राजा ने जाना कि यह धूर्तता से बोला है, तो भी मेरा साधर्मिक हुआ। इसे .खमाये बिना प्रतिक्रमण करना कल्पता नहीं है। फिर चंडप्रद्योतन को बन्दीखाने से छुड़ा कर, अपने पास बुला कर, उसके ललाट पर सोने का पट्ट बैंधा कर क्षमायाचना कर के और सत्कार कर के उदायी राजा ने उसे अवन्ती (उज्जयिनी) नगरी भेज दिया। इस तरह भव्य जीवों को भी उदायी राजा की तरह क्षमायाचना करना, क्षमा करना और क्रोध का त्याग करना चाहिये। कुम्हार और धृतों की कथा ___ अपराध कर के नहीं खमाये तो महा अनर्थ की वृद्धि होती है। एक गाँव में कोई कुम्हार गाड़ी में बर्तन भर कर बेचने आया। वहाँ उसका एक बैल हड़पने के लिए गाँव के धूर्त आपस में बोले कि देखो, यह एक बैल की गाड़ी चल रही है। गाड़ीवाले ने जाना कि ये दुष्ट लोग एक बैल छीन लेने का उपाय कर रहे हैं, इसलिए ये प्रत्यक्ष चोर हैं। क्योंकि बैल तो दो हैं और ये लोग कहते हैं कि एक है। यह सोच कर कुम्हार अपने बर्तन बेचने में लग गया। एक बैल को धूर्त ले गये। ____ कुम्हार बर्तन बेच कर जाने के लिए तैयार हुआ, पर एक बैल उसे दिखाई नहीं दिया। उसने बहुत आवाज लगायी कि मेरा एक बैल कौन ले गया है? तब लोगों ने कहा कि हमने तो एक ही बैल देखा था। कुम्हार बहुत दुःखी हुआ और निराश हो कर अपने स्थान पर आया, पर क्रोध में आ कर उसने उन धूर्त लोगों के खेत-खलिहान सात वर्ष तक जलाये। ___एक बार किसी यक्ष की यात्रा में गांव के लोग जमा हुए। उस समय उन्होंने पटह बजवाया कि जो हमारे धान्य के खेत-खलिहान जलाता है, वह प्रकट हो जाये। उस समय कुम्हार अपना वेश बदल कर बोला कि तुमने जिसकी एक बैल की गाड़ी देखी थी, वह तुम्हारे अनाज के खलिहान जलाता है। फिर कुम्हार को उसका बैल दे कर धूर्तों ने अपना अपराध खमाया। __इसलिए प्रथम तो हो सके वहाँ तक अपराध करना ही नहीं, पर यदि हो जाये तो तुरन्त खमतखामणा कर के अपराध की क्षमा माँगना कि जिससे कोई अनर्थ न हो। क्रोध न छोड़े, इस पर क्रोधी ब्राह्मण का दृष्टान्त / पर्युषण में जो क्रोध का त्याग न करे, उसे सड़े हुए पत्ते की तरह संघ से बाहर कर देना चाहिये। जैसे कि

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