Book Title: Kalpsutra Balavbodh
Author(s): Yatindravijay, Jayantsensuri
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 473
________________ (440) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध और यह किसके काम आयेगा? फिर उस वृद्धा ने लौकिक रीति सम्हालने के लिए दामाद को बहुत मनुहार कर के बुलाया और कहलवाया कि आप अकेले ही पधारना। यह सुन कर दामाद के मित्र कहने लगे कि आज तुम्हें सास सब द्रव्य दे देगी। फिर दामाद सासु के घर अकेला भोजन के लिए गया। सासु ने खीर परोसी। फिर कटोरी में रुई का फाहा डाल कर घी परोसने आयी और कटोरी में से घी की एक एक बूंद थाली में डालने लगी। वह थाली में घी अधिक गिरने नहीं देती थी। वृद्धा ने सोचा कि दामाद अब ना कहेगा। दामाद ने जाना कि यह मुझे ठगने आयी है। इसलिए सासु का हाथ पकड़ कर कटोरी थाली में उँडेल दी। फिर वह सास से कहने लगा कि जी! जी! अब बहुत हो गया। मुझे अधिक नहीं चाहिये। ___ वृद्धा ने विचार किया कि कटोरी तो खाली हो गयी है और सब घी अकेला दामाद खा लेगा। इसलिए कुछ उपाय करूँ। यह सोच कर उसने दामाद से कहा कि दामादजी! तुम्हारे हमारे जो रूठना था, वह सब आज मिट गया है, इसलिए हम दोनों एक ही थाली में भोजन करेंगे। यह कह कर दामाद के साथ वह भोजन करने बैठी। दामाद की तरफ थाली की ढलान होने से सब घी दामाद की तरफ था। इसलिए सास उलाहना देने के बहाने उँगली से घी अपनी तरफ खींचती जाती और कहती कि देखो, तुममें इतने दोष हैं- एक तो तुम होली पर नहीं आये, दूसरे दीवाली पर नहीं आये और तीसरे अक्षयतृतीया पर भी नहीं आये। इस प्रकार बोल बोल कर उसने सब घी अपनी ओर खींच लिया। 'सास तो बहुत समझदार दीखती है। इसने घी तो सब खींच लिया।' ऐसा जान कर थाली में हाथ फिरा कर दामाद बोला कि हे सासजी! जो होना था सो हो गया। अब तुम्हारा और मेरा मन एक कर लीजिये। आज से सब अपराध अलियागलिया (आये-गये) जानना। यह कह कर थाली उठा कर घी-शक्कर सहित सारी खीर दामाद पी गया और बोला कि अब अपना सब रूठना मिट गया है, इसलिए तुम प्रसन्न रहना। इस तरह धर्मार्थी जीव को भी कोई राग-द्वेष उत्पन्न हुआ हो, तो सब खमा लेना चाहिये, पर पर्युषण में राग-द्वेष नहीं रखना। मिच्छा मि दुक्कडं दे देना। . ___पर्युषण पर्व में क्रोध, मान, माया और लोभ से आहारादि ग्रहण नहीं करना। ऐसा करने से चारित्र धर्म का विनाश होता है।

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