Book Title: Kalpsutra Balavbodh
Author(s): Yatindravijay, Jayantsensuri
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 482
________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (449) हिन्दी अनुवाद प्रशस्ति सप्तपदी कल्याणकारी प्रभु वीरनाथ, श्री इन्द्रभूति गणधार साथ। तत्पट्ट संवाहक सोहमादि, पादाम्बुजों में नित वन्दनादि।।१।। तत्पट्ट शोभा महिमा विकासी, श्री रत्नसूरीश प्रभा प्रकाशी। पट्ट प्रभावी हि क्षमासूरीन्द्र, देवेन्द्र कल्याण मुनीन्द्र चन्द्र।।२।। सद्ज्ञानदाता हि प्रमोदसूरि, जिनेन्द्र आज्ञा अनुसारी धूरि। राजेन्द्रसूरीन्द्र प्रभावशाली, ज्ञानी तपस्वी भुवि अंशुमाली।।३।। उत्कृष्ट चारित्र चरित्र शुद्ध, कर्ता क्रियोद्धार सदा प्रबुद्ध। पट्टे प्रतापी धनचन्द्रसूरि, भूपेन्द्रसूरीश कषाय चूरि।।४।। व्याख्यान-वाचस्पति श्री यतीन्द्र, मेरे गुरुश्री सही थे मुनीन्द्र। पट्टे सदा शोभित चन्द्रविद्या, गच्छेश राजीव समान नित्या।।५।। तत्पट्टधारी विजयन्तसेन, हिन्दी किया है अनुवाद जेण। दो शून्य पंचावन वर्ष तंत, कुक्षी खिला था अनूठा बसंत।।६।। मैने किया था चउमास इष्ट, देवाधिदेवा प्रभु शान्ति श्रेष्ठ। सद्भावभक्त्या अनुवाद हिन्दी, चौमास की याद सदा हि जिन्दी।।७।। 卐

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