________________ (262) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध उपवास कर के रात्रि-पौषध में बैठे थे। उन राजाओं ने यह निश्चय किया कि भगवान का निर्वाण हो जाने से केवलज्ञानरूप भावउद्योत तो चला गया, इसलिए अब हम द्रव्यउद्योत करेंगे याने पौषध-उपवासरूप द्रव्य उद्योत प्रतिवर्ष इस अमावस्या के दिन करेंगे। अथवा अब द्रव्यउद्योत करेंगे। ऐसा विचार कर उन्होंने दीपकप्रमुख द्रव्य उद्योत किया। उस दिन से मांगलिक के निमित्त महापर्व दीपावली का प्रारम्भ हुआ। इस पर्व में भगवान मोक्ष गये याने कि शिवसुख-निरुपद्रव सुख उन्होंने प्राप्त किया। ___ कार्तिक सुदि एकम के दिन गौतमस्वामी को केवलज्ञान उत्पन्न हुआ। इसलिए इसका हर्ष (खुशी) जानना। कार्तिक सुदि बीज के दिन भगवान के बड़े भाई नन्दीवर्द्धन जो भगवान का निर्वाण सुन कर बहुत शोकातुर हुए थे, उनका शोक मिटाने के लिए भगवान की बहन सुदर्शना ने नन्दीवर्द्धन को अपने घर बुला कर भोजन कराया और उसका शोक दूर किया। उस दिन से लोगों में 'भाई दूज' का प्रारम्भ हुआ। जिस रात्रि में भगवान मोक्ष गये, उस रात्रि में क्षुद्र याने क्रूर स्वभावी अट्ठासी ग्रहों में से तीसवाँ, एक नक्षत्र पर दो हजार वर्ष की स्थितिवाला भस्मराशि नामक ग्रह भगवान के उत्तराफाल्गुनी नामक जन्म नक्षत्र पर आया हुआ था। जिस दिन से भस्मराशि नामक यह महाग्रह भगवान के जन्म नक्षत्र पर आया है, उस दिन से निर्ग्रन्थ साधु-साध्वियों की अतिपूजा याने उठ कर खड़े होना, आहारादिक देना तथा सत्कार याने वस्त्रादिक देना, आदि की वृद्धि नहीं होगी। निर्वाण के समय भगवान से प्रथम सौधर्मेन्द्र ने विनती की थी कि हे महाराज ! आप तो मोक्ष जा रहे हैं, पर आपके सन्तानिकों को दो हजार वर्ष तक पीड़ा होगी। अब दो घड़ी यह भस्मग्रह शेष रहा है। इसलिए दो घड़ी तक आपकी आयु बढ़ा लें, तो भस्मग्रह उतर जाने के कारण पश्चात् के आपके संतानिकों याने साधु-साध्वियों को शाता उत्पन्न होगी। यह सुन कर भगवान ने कहा कि हे इन्द्र ! यह बात तीन काल में नहीं