________________ (284) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध अंबिका के पुत्र का नाम धृतराष्ट्र था। उसके गांधारीप्रमुख आठ स्त्रियाँ थीं। उनके दुर्योधनादिक सौ पुत्र हुए। अंबालिका के पुत्र का नाम पांडु था। उसके एक कुन्ती नामक स्त्री थी। उसके एक युधिष्ठिर, दूसरा भीम और तीसरा अर्जुन ये तीन पुत्र हुए। पांडु के माद्री नामक एक और स्त्री भी थी। उसका दूसरा नाम पद्मा था। उसके एक नकुल और दूसरा सहदेव ये दो पुत्र हुए। इस तरह इन दोनों स्त्रियों से मिल कर पांडु राजा के पाँच पुत्र हुए। वे पाँच पांडव कहलाये। विचित्रवीर्य की तीसरी स्त्री अंबा के एक पुत्र हुआ। उसका नाम विदुर था। इस तरह पांडवों का संबंध संक्षेप से कहा अन्धकवृष्णि की दूसरी पुत्री माद्री जो दमघोष राजा के साथ ब्याही गयी थी, उसके शिशुपाल नामक पुत्र हुआ। उसका वध श्रीकृष्ण ने किया है। इस तरह की व्यवस्था करने के बाद अंधकवृष्णि ने दीक्षा ग्रहण की। अब मथुरा का राज्य उग्रसेन चलाने लगा। धारिणी उसकी रानी थी तथा शौरीपुर का राज्य समुद्रविजय चलाने लगे। शिवादेवी उनकी रानी थी। शिवादेवी के नेमिकुमार नामक पुत्र हुआ। अन्य भी सब भाई साथ साथ मिल कर रहते थे। ___मथुरा में उग्रसेन राजा सुखपूर्वक राज करता था। एक दिन नगर के बाहर जंगल में एकमासिक उपवास करने वाला एक तापस आया। महीने के उपवास के मध्य यदि कोई आ कर उससे अपने घर पारणा करने के लिए कहता, तो उसके घर वह पारणा करता था। अन्य किसी के घर वह पारणा नहीं करता था। यदि आमंत्रण देने वाला भूल जाता और तापस को पारणा के लिए बुलाने नहीं आता, तो वह पुनः एक मास के उपवास का पच्चक्खाण कर लेता था। ऐसा उसका नियम था। वह तापस मासिक उपवास कर जंगल में बैठा था, तब उग्रसेन राजा वहाँ पहुँच गया। उसने तापस को देख कर अपने घर पारणा करने की विनती की। पारणा करना कबूल करा कर वह अपने घर गया। पर जिस दिन पारणा कराना था, उस दिन भूल जाने के कारण तापस को बुलाने के लिए सेवक नहीं भेजा। तापस ने भी शाम तक राह देख कर बुलाने के लिए कोई नहीं आया जान कर पुनः दूसरे महीने की तपस्या का नियम कर लिया। कुछ दिन बाद राजा को उस तापस की याद आई कि अरे ! मैंने यह कैसा अकार्य कर दिया कि तापस को आमंत्रण दे कर भी उसे भोजन के लिए नहीं बुलाया? यह सोच कर पुनः वह उस तापस को पारणा के लिए आमंत्रण दे आया।