________________ (122) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध गुरु से पूछूगी। यह सुनते ही सहसा उसके मुँह से निकल पड़ा कि इतना बड़ा समुद्र पीने से तेरा पेट क्यों नहीं फटा? हँसी-मज़ाक में इतना बोल कर वह चली गयी। .. फिर गहुँली कर के उस वणिक स्त्री ने गुरु से स्वप्न का फल पूछा। तब गुरु ने इंगित आकार देख कर कहा कि क्या तुमने पहले किसी को यह स्वप्न बताया है? उसने सखी को बताने की बात कह दी। यह सुन कर गुरु बोले कि यदि तुमने पहले यह किसी को नहीं बताया होता, तो तुम्हें भाग्यवान पुत्र होता। अब तो आज से सातवें दिन तुम्हारे शरीर में कष्ट होगा। इसलिए घर जा कर आत्मसाधन करो। फिर वह स्त्री अपने घर जा कर आत्मसाधन कर के मृत्यु को प्राप्त हुई। इसलिए शुभ स्वप्न हर किसी को बताना नहीं चाहिये तथा कोई योग्य व्यक्ति न मिले तो गाय के कान में कह देना चाहिये। कहे बिना फल प्राप्त नहीं होता। प्रथम शुभ स्वप्न देख कर फिर अशुभ स्वप्न देखे तो अशुभ स्वप्न का फल प्राप्त होता है। इसी प्रकार परावर्त्त से जानना। कोई स्वप्न में सिंह, घोड़े अथवा वृषभ जुते हुए रथ पर स्वयं को सवार देखे; तो वह राजा बनता है। घोड़ा, वाहन, वस्त्र, घर कोई ले जा रहा है, ऐसा स्वप्न देखे, तो राजभय, शोक, बंध, विरोध तथा अर्थहानि होती है। सूर्य-चन्द्र का बिंब निगलने का स्वप्न देखे, तो समुद्र तथा पृथ्वी का स्वामी बनता है। नदी के किनारे सफेद हाथी पर सवार हो कर शाल्योदन (चावल) भक्षण करता हूँ, ऐसा स्वप्न देखे, तो समस्त देश का स्वामी बनता है। स्वप्न में अपनी स्त्री का अपहरण देखे, तो धन का नाश होता है। स्वप्न में उजला साँप दाहिनी भुजा में डंक दे, तो एक रात में एक हजार सुवर्णमुद्राएँ प्राप्त होती हैं। काली गाय, अश्व, गज और प्रतिमा स्वप्न में देखे, तो भला होता है। अन्य कोई काली वस्तु देखे, तो अशुभ जानना। अशुभ स्वप्न देखने के बाद स्वप्न में देवपूजा देखे, तो शुभ वस्तु प्राप्त होती है। द्रोभ, अक्षत, चन्दन देखे, तो उसका मंगल होता है। राजा, हाथी, अश्व, सुवर्ण, वृषभ और गाय ये वस्तुएँ स्वप्न में देखे, तो उसके परिवार की वृद्धि होती है। स्वप्न में