________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (171) चौकड़ी की चौकी है। उस चौकी को फँसा कर कदापि कोई ऊपर जाये, तो भी वह उसे चढ़ने नहीं देती। 10. पाछी चार कुंडावली- ग्यारहवीं सीढ़ी से धक्का दे कर उसे वह कषाय चौकडी संसारकूप में गिराती हैं। 11. ढाऊँ ढाऊँ ढोकलो, माथे छोकरो- हे जीव! तू संसार में दौड़ दौड़ कर गर्भावास में गिरेगा और वहाँ ढोकले की तरह सीझ जायेगा और छैया-छोरे तुझे परेशानी में डालेंगे। इसलिए यदि तू धर्मचक्रवर्ती महाराज का सिद्धनगर देखना चाहता हो, तो सबसे पहले उनके महामंत्री सम्यक्त्व से संबंध जोड़। वह धर्म महाराज से तेरी मुलाकात करा देगा। अब उस सम्यक्त्व मंत्री के घर के रास्ते में घाट आता है। वहाँ लुटेरे रहते हैं। उनसे बचने का उपाय बताते हैं 12. हाथ मां डांगडी- धर्मकथावातरूप यथाप्रवृत्तिकरण कर के अपूर्वकरण के शुभ परिणामरूप डांगडी याने महामुद्गर हाथ में लेना फिर... 13. आईडा दो भाईडा, वडो भाई कांणो- राग और द्वेष रूप दो भाइयों को दूर करना तथा अन्य भी सात प्रकृति रूप चोर का क्षय कर के अपूर्वकरणरूप मुद्गर से मिथ्यात्व की गाँठ तोड़ कर याने ग्रंथीभेद कर के आगे बढ़ना। वहाँ सम्यक्त्व महामंत्री जो पाँच रूप बना कर बैठा है, उसके दर्शन होंगे। फिर उसकी सेवा में रहने पर वह तेरी योग्यता को परख कर.... 14. इडिकेवली ईडिउकारु- धर्मचक्रवर्ती की दो पुत्रियाँ हैं। उनमें एक देशविरति लघु पुत्री है और दूसरी सर्वविरति बड़ी पुत्री है। उसके साथ तेरा विवाह कर देगा। पर यदि सम्यक्त्व मंत्री की सेवा एकाग्रचित्त से सम्मुख रह कर करेगा, तो ही वह प्रसन्न होगा। क्योंकि 15. आउ आऊ आंकोडा, वडे आंकड फांकोडा- वहाँ शंका कांक्षा कषायरूप अंकुडे बड़े आकर्षक और रसिक हैं। यदि तू उनकी संगति करेगा, तो सम्यक्त्व मंत्री को शक हो जायेगा। फिर वह तेरा साथ नहीं देगा। 16. निली तोडवे कांटोला वडे- वहाँ विषय-कषायरूप अथवा ममता-माया रूप दो विषबेले हैं। उनमें काम और भोगरूप दो सर्प सोये हुए हैं। उन्हें मत जगाना तथा मत छेड़ना। ऐसा करने से स्वामी प्रसन्न हो कर तुझे सिद्धनगरी जाने के लिए साथ करा देगा। 17. एन वेन दो गाड़ी- वह तुझे समिति-गुप्तिरूप दो गाड़ियों में बिठा कर... 18. ओरखवाला बलदीया- उनमें ज्ञान और चारित्र रूप दो बैल जोत