Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
(३३)
गाथा सं.
पृष्ठ सं.
विषय
३३७ आयुबन्ध व अबन्धकी अपेक्षा सत्त्वस्थान व भंगोंका कथन करनेकी प्रतिज्ञा ५६ आयु बन्धकी अवस्थाको विकृतियों की संख्या
| सयोगकेवलीके ६६ असत्त्वरूप प्रकृतियोंके नाम तथा गुणस्थानोंमें सत्त्व-प्रकृतियोंकी
संख्या ३६१ ३३९ गुणस्थानोंमें असत्त्वप्रकृतियोंके नाम ३६२-३६३ ३४१ गुणस्थानों में सत्त्वस्थान संख्या ३६३ क
मिथ्यात्वगुणस्थानमें तीर्थंकरके सत्त्वसहित आयुबन्ध व अबन्धका कथन
| सत्त्वस्थानोंमें भगोंको संख्या ३६४ क-ख |३४२ आयुक के आयुन्नन्धकी अपेक्षा भक ३६५-३७१ | ३४३-३५० | मिथ्यात्वगुणस्थानमें सत्त्वस्थानोंका व भोंका विवरण ३७२-३७५ ख ३५८-३६० | सासादन व मिश्रगुणस्थानमें सत्त्वस्थान व भंग ३७६-३८१ ३६५-३६६ | असंयतगुणस्थानमें सत्त्वस्थान व भंग
| तीन कल्याणकवाले तीर्थंकर ३८२ ३८० | पाँचवें-छठे-सातवें गुणस्थानों में सत्त्वत्थान व भग ३८३-३८४ | ३८२-३९२ अपूर्वकरणगुणस्थान (उपशामक) में सत्त्वस्थान व भङ्ग
३४२
३८५
| अनिवृत्तिकरण-सूक्ष्मसापराय व उपशांतमोह. अपूर्वकरणउपशामकके समान
३८७ क्षपकअपूर्वकरणमें सत्त्वस्थान व भन्न ३८६-३८८ |३८८-३८९ व ३९१-३९२ | ३१२ | क्षपकअनिवृत्तिकरणमें सत्त्वस्थान व भक ३८९ ३९० | क्षपकसूक्ष्मसापराय और क्षीणमोहगुणस्थानमें सत्चस्थान व भजन
सयोगी व अयोगीगुणस्थानों में सत्त्वस्थान व भंग
उपशमश्रेणीमें ४ अनन्तानुबन्धीका सत्त्व नहीं है व क्षपकश्रेणी पहले ८ कषायका क्षय ३९२ | दूसरेमत्त अनुसार अनिवृत्तिकरणक्षपक्रमें मायारहित चार स्थान ३९३-३९४ |३९३ दूसरे मतोंकी अपेक्षा गुणस्थानों स्थानों व भंगोंका कथन