Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गाथा सं.
विषय
सत्त्वप्रकरण
३३७
मिथ्यात्वगुणस्थानमें तीर्थकर व आहारकद्विकका सन्च युगपत नहीं होता ३३४
किसी भी आयुका बंध होनेपर सम्यक्त्व हो सकता है, किन्तु देवायके बिना अन्य तीन
आयुका बन्ध होनेपर अणुव्रत या महाव्रत नहीं हो सकते ३३५-३३६ ३०६ नरक-तिर्यंच व देवायुका सत्त्व होनेपर क्रमश: अणुव्रत, महाव्रत, क्षपक-श्रेणी नहीं होतो
तथा क्षायिकसम्यकल्लकी विधि ३०७ अनिवृत्तिकरणादि गुणस्धानोंमें क्षय होनेवाली प्रकृतियों
उपशमश्रेणी विधान
क्षपकश्रेणी विधान ३३८-३४१ |३१२ क्षपकश्रेणीमें क्षययोग्य प्रकृतियाँ
गुणस्थानों में सत्त्व-असत्त्वरूप प्रकृतियाँ क्षपकश्रेणीकी अपेक्षा
उपशमश्रेणीकी अपेक्षा कर्मप्रकृतियाँ उपशमानेका क्रम तथा सत्त्व-असत्त्व-प्रकृतियाँ ३४४-३४८ |३१६-३२१ | चारों गतियोंमें गुणस्थानकी अपेक्षा सत्त्व-असत्त्व प्रकृतियाँ
इन्द्रियमार्गणा व कायमार्गणा गुणस्थान अपेक्षा सत्त्व-असत्त्वप्रकृतियाँ
| उद्वेलनका लक्षण ३५०-३५१ ३ उद्वेलनप्रकृतियोंके नाम व स्वामी, उद्वेलनाकी अपेक्षा विकलत्रय ना एकेन्द्रियों में सत्त्व
व असत्त्व प्रकृतियों
३४९
३५२-३५३ |३२८-३३० योगमार्गणामें सत्त्व-असत्वका कथन
३५४
३५५
३३३
३५६
वेदमार्गणासे भव्यमार्गणातक सत्त्व-असत्त्वका कथन अभव्यमार्गणासे आहारमार्गणातक सत्त्व-असत्त्वका कथन अनाहारमार्गणामें सत्व-असत्त्वप्नकृतियाँ अन्तिम मङ्गलाचरण
॥ इति बंधोदयसन्याधिकार ।।
ॐ ३. सत्त्वभंगाधिकार के मंगलाचरण तथा गुणस्थानोंमें तत्त्वभा कहनेकी प्रतिज्ञा
३५८
३३७