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अब तक उन लोगों ने भी कुछ सीख लिया था, अत: उन्होंने कहा. हां, हमें पता है।
वह बोला : तब इसकी आवश्यकता ही क्या है? यदि आपको पता ही है तो आप जानते हैं, और वह चला गया।
मैंने तीसरे दिन फिर उसे जाने के लिए राजी कर लिया। वह वहां खड़ा हुआ, उसने पूछा, क्या आपको पता है कि मैं आपको क्या सिखाने जा रहा हूं।
अब तक लोग कुछ और ज्यादा सीख चुके थे; वे बोले, हां, हममें से आधे लोग जानते हैं और आधे नहीं जानते।
उसने कहा : यह बिलकुल ठीक है, इसलिए वे लोग जो जानते हैं, उनको बता दें जो नहीं जानते। मेरे यहां मौजूद रहने की जरूरत ही क्या है?
मुल्ला नसरुद्दीन एक बहुत-बहुत पुराना सूफी उपाय है। यह व्यक्ति कभी हुआ हो या न हुआ हो, यह निश्चित नहीं है। शायद वह रहा हो, शायद वह कभी न हुआ हो। ऐसे बहुत से देश हैं जो उस पर अपना दावा करते हैं। ईरान उसे अपना कहता है; वहां ईरान में मुल्ला नसरुद्दीन की एक कब भी है।. सोवियत रूस भी उस पर अपना दावा करता है। कुछ और देश भी हैं जो अपना दावा करते हैं। लगभग अत मध्यपूर्व यह दावा करता है कि वह उनका है। और ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां पर उसके दफनाए जाने की बात की जाती है।
हो सकता है कि कभी उसका अस्तित्व रहा हो, हो सकता है न रहा हो, परंतु उसका प्रभाव अदभुत है। जो कुछ भी उसने किया या जो कुछ भी उसके द्वारा किया गया कहा जाता है, वह अत्याधिक, बहुत अर्थपूर्ण है-जैसे कि इस कहानी में जब उसने पूछा, क्या आपको पता है मैं क्या सिखाने जा रहा हूं? प्रत्येक ने कह दिया : नहीं। लेकिन कोई भी मौन नहीं रहा। नहीं, कहना सरल है, नास्तिक होना बहत आसान है। और अगर तुम्हारे पास 'नहीं' का दृष्टिकोण है तो यह कठिन है, तब तुम्हें सिखाना कठिन है। अगले दिन प्रत्येक ने कहा : ही, क्योंकि वह जो कहना चाहता था वे उसे सुनने के लिए बहुत लोभ से भरे थे। उनकी ही उनके लोभ से आई थी, और लोभ को कभी संतुष्ट नहीं किया जा सकता। और मुल्ला बोला : यदि आप जानते ही हैं तो बताने में क्या सार है? तीसरे दिन उन्होंने खुद को और अधिक चालाक, और होशियार सिद्ध करने की कोशिश की। उन्होंने कहा : हमने दो विकल्पों के लिए प्रयास किया, अब तीसरे की कोशिश की जाए, एकमात्र बची हुई बात रह गई थी : हममें से आधे जानते हैं और हममें से आधे नहीं जानते। अब वे मल्ला को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन तुम उसको ठिकाने नहीं लगा सकते। वह तो करीब-करीब पारे जैसा है; वह तुम्हारे हाथ से फिसल जाता है। उसने कहा : एकदम ठीक। जब आपमें से आधे लोग जानते ही हैं और आधे लोग नहीं जानते, तब जो जानते हैं वे उनको बता दें जो नहीं जानते, तो फिर मेरी यहां जरूरत ही क्या है, मेरा समय क्यों बरबाद करते हैं।