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होता। लेकिन मन इसी भांति कार्य करता है। यदि तुम सफल हो जाते हो तुम पश्चात्ताप करते हो, यदि तुम असफल हो जाते हो तो भी तुम पश्चात्ताप करते हो देख लो मन ऐसे या वैसे परेशानी ही पैदा करता है। जो कुछ भी घटित हो मन इससे परेशानी पैदा कर लेता है। वह रेलगाड़ी इतनी मूल्यवान नहीं है। इसको इस ढंग से मत देखो, सिर्फ तुम्हारा सामान ट्रेन में चला गया है और तुम छूट गए हो। प्रसन्न हो जाओ कि केवल तुम्हारा सामान ही चला गया और तुम बच गए।
एक दिन में बगीचे में टहल रहा था और मैंने एक भिखारी को देखा, जिसके एक ही पैर में जूता था। तो मैंने उससे पूछा गरीब आदमी क्या तुम्हारा एक जूता खो गया है?
वह बोला नहीं, मुझे एक जूता मिल गया है।
विधायक दृष्टिकोण रखो।
एक शर्त पूरी करने के लिए एक व्यक्ति रात भर एक भुतहा घर में रुकने को राजी हो गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह रात में घर छोड़ कर न भाग सके, सामने व पिछवाड़े के दरवाजों में ता लगा दिए गए और खिड़कियां बंद कर दी गईं। अगली सुबह जब उस घर को खोला गया तो वहां उस आदमी का नामोनिशान तक नहीं था, लेकिन छत में एक बड़ा छेद था, और यह स्पष्ट था कि रात में वह इस छेद से निकल भागा था। दो दिन बाद वह गांव में वापस लौट आया।
पिछले अड़तालीस घंटों में तुम कहां गायब हो गए थे? उसके मित्रों ने पूछा।
वापस लौट रहा था, उसने कहा. मैं वापस आ रहा था।
भय में वह इतनी तेजी से भागा होगा कि उसे वापस इसी गांव तक लौटने में अड़तालीस घंटे लग
गए।
यह शुभ हुआ मैत्रेय कि तुम्हारी ट्रेन छूट गई; वरना वापस लौटने में अड़तालीस जन्म लग जाते। उनके प्रश्न का दूसरा भाग है और कल रात मैंने आपको अनेक भली स्त्रियों से एक साथ विवाह देखा, और आपने मुझसे कहा कि आप उन सभी के साथ सरलता और सहजतापूर्वक निभा
:
करते हु
लेंगे।'
क्या तुम देख नहीं पा रहे हो कि सभी के साथ सहजता और सरलता पूर्वक निभा रहा हूं? प्रत्येक शिष्य स्त्री होता है - स्त्री हो या पुरुष - इससे कोई भेद नहीं पड़ता, क्योंकि शिष्य को स्त्रैण होना पड़ता है, केवल तभी वह सीख सकता है। कोई दूसरा उपाय है भी नहीं, क्योंकि शिष्य को एक गर्भ की भांति ग्रहणशील होना पड़ता है। उसे मुझको पूरी तरह ग्रहण करना पड़ेगा... उसे निष्किय ग्राहक होना पड़ता है।