________________ आर्गानम' को लिख चुका था। यह वास्तव में एक साहसिक प्रयास है। वास्तव में इस सदी में किसी अन्य व्यक्ति ने ऐसा साहसपूर्ण अवलोकन करने का प्रयास नहीं किया। हिम्मत के साथ आस्पेंस्की ने अपनी पुस्तक को ज्ञान की तीसरी शाखा के रूप में वर्णित किया : टर्शियम आर्गानम, ज्ञान का तीसरा सिद्धात। पहला अरस्तू द्वारा लिखा गया आर्गानम; दूसरा बेकन दवारा लिखा गया नोवम आर्गानम। और उसने कहा, मैं ज्ञान का तीसरा सिदधात लिखता है। उसने कहा, पहला और दूसरा तीसरे के सामने कुछ भी नहीं हैं। तीसरे का अस्तित्व पहले के पूर्व था। यह वास्तव में एक साहसिक प्रयास था, और केवल अहकारपूर्ण प्रयास नहीं था यह, उसका दावा करीब-करीब सच था। जब आस्पेंस्की गुरजिएफ के पास गया, गुरजिएफ ने उसकी ओर देखा। उसने उस पांडित्य से भरे व्यक्ति को देखा जो बहुत कुछ जानता था, जो यह भी जानता था कि दूसरे भी जानते हैं कि वह बहुत कुछ जानता है-सूक्ष्म अहंकार। गुरजिएफ ने उसको एक कागज दिया, कागज का एक कोरा पृष्ठ और उससे? कहा कि वह बगल के कमरे में चला जाए और जो कुछ भी वह जानता है उसे एक ओर लिख दे और कागज के दूसरी ओर वह सब लिख दे जो उसे नहीं पता है। क्योंकि कार्य केवल तभी आरंभ किया जा सकता है जब आस्पेंस्की को स्पष्ट रूप से पता हो कि वह क्या जानता है और क्या नहीं जानता है। गुरजिएफ ने कहा. याद रखो, जो कुछ भी तुम लिख लाओगे कि तुम्हें पता है, उसको मैं स्वीकार कर लंगा, और हम इसके बारे में दुबारा कभी बात नहीं करेंगे। यह मामला समाप्त हो गया, तुम इसे जानते ही हो। जो कुछ भी तुम लिख दोगे कि तुम नहीं जानते, उस पर हम कार्य करेंगे। और गुरजिएफ ने जो पहली बात कही वह थी यह जान लेना कि तुमको क्या पता है और तुमको क्या पता नहीं है। आस्पेंस्की कमरे में चला गया। उसने सोचना आरंभ किया कि वह क्या जानता है, और उसके जीवन में पहली बार ऐसा हुआ कि कागज पर वह एक बात भी नहीं लिख सका। उसने प्रयास कियापरमात्मा, स्व, संसार, मन, जागरूकता, इन सबके बारे में वह क्या जानता है? पहली बार यह प्रश्न प्रमाणिकता पूर्वक पूछा गया था। परमात्मा के बारे में उसे अनेक बातें पता थीं, और वह आत्मा के बारे में बहुत सी बातें जानता था; और जागरूकता के बारे. में उसे कई बातें पता थीं, किंतु वास्तव में ईश्वर के बारे में वह एक चीज भी नहीं जानता था। ये सभी सूचनाएं थीं, यह उसका अनुभव नहीं था। और जब तक किसी चीज का अनुभव तुम्हें न हुआ हो तुम कैसे कह सकते हो कि तुम इसे जानते हो? तुम प्रेम के बारे में जान सकते हो, लेकिन वास्तव में यह प्रेम का ज्ञान नहीं है। तुम्हें प्रेम से होकर गुजरना पड़ेगा, तुम्हें प्रेम की अग्नि से होकर गुजरना पड़ेगा। तुम्हें जलना पडेगा, तुम्हें चुनौती पर खरा उतरना पड़ेगा, और जब तुम प्रेम से बाहर निकल कर आओगे तो तुम पूर्णत: भिन्न होओगे, उस व्यक्ति से पूर्णत: भिन्न होओगे जो भीतर गया था। प्रेम रूपांतरण करता है। सूचना तुम्हारा रूपांतरण कभी नहीं करती। सूचना एक लत बनती चली जाती है, जो कुछ भी तुम हो यह उसी में कुछ और