________________ कारण को खोज लो, और कारण एक ही है। और चीजें सरल हो जाती हैं, क्योंकि तमको अनेक प्रभ से संघर्ष नहीं करना है। तुम तो बस एक जड़, मुख्य जड़ को काट देते हो, और एक हजार एक शाखाओं वाला वृक्ष बस खो जाता है, विदा हो जाता है। और जागरूक हो जाओ। निद्रा से स्वप्नावस्था उठ खड़ी होती है, स्वप्न तैरना आरंभ कर देते हैं। क्या तुमने देखा है, कभीकभी स्वप्न में भी तुम यह स्वप्न देखते हो कि तुम जागे हुए हो? बिलकुल ठीक यही घट रहा है : विचार करते समय तुम सोचते हो कि तुम जागे हुए हो-लेकिन तुम जागे हुए नहीं हो। वास्तविक जागृति केवल तभी –घटित होती है जब सारे विचार खो चुके हैं-तुम्हारे भीतर कोई बादल नहीं है, एक विचार भी नहीं तैर रहा हैं, मात्र शुद्ध तुम। यह मात्र एक शुद्धता है, प्रत्यक्षीकरण की स्पष्टता, मात्र दृष्टि जिसमें तुम्हारी दृष्टि में कुछ भी नहीं है, सारा आकाश रिक्त। यदि तुम किसी चीज को देखो, तो तुम्हारे भीतर कोई शब्द नहीं उमड़ता। तुम एक गुलाब का फूल देखते हो : तुम्हारे भीतर इतना विचार तक नहीं उठता कि यह एक खूबसूरत पुष्प है। तुम बस देखते हो गुलाब वहां, तुम यहां, और तुम दोनों के मध्य कोई शब्दीकरण नहीं। उस मौन में पहली बार तुम जानते कि जागरूक होना क्या है, जागति की अवस्था क्या है, और यह जड़ को काट देता है। अब अनेक उपायों से इसका प्रयास करो। एक उपाय है, जब तुम क्रोधित हो जाओ तब सजग होने का प्रयास करो। अचानक तुम देखोगे कि या तो तुम क्रोधित हो सकते हो या तुम सजग हो सकते हो; तुम दोनों एक साथ नहीं हो सकते हो। जब कामवासना उठती है, सजग होने का प्रयास करो। अचानक तुम देखोगे कि या तो तुम सजग हो सकते हो या तम कामक हो सकते हो, तुम एक साथ दोनों नहीं हो सकते हो। यह तुमको इस तथ्य को देखने में मदद करेगा कि सजगता प्रति-विष है, नियंत्रण नहीं। यदि तुम और और सजग होते चले जाओ तो ऊर्जा एक नितांत भिन्न आयाम में गतिशील होना आरंभ कर देती है। वही ऊर्जा जो क्रोध में, लोभ में, कामवासना में जा रही थी मुक्त हो जाती है, तुम्हारे भीतर प्रकाश के एक स्तंभ की भांति गतिमान होने लगती है। और यह जागरूकता मानव विकास की उच्चतम अवस्था है। जब व्यक्ति सजग होता है तो वह परमात्मा बन जाता है। जब तक तुम उसे उपलब्ध न कर लो, तुम्हारा जीवन एक व्यर्थता रहता है। हम ऐसे जीते हैं जैसे कि हम नशे में हों। मैं तुमसे एक कहानी कहता हूं : पुराने मैक्सिको में एक हंगामेदार रात के बाद अत्यधिक शराब पीकर होने वाले तेज ' से पीड़ित पर्यटक जब सोकर उठा तो उसके मन में पिछली रात की कुछ धुंधली सी याद बच थी। उसने देखा कि उसके बिस्तर पर एक भद्दी, कुरूप, झुरींदार और दंतविहीन की महिला सो है। उस पर घृणा भरी दृष्टि डाल कर उबकाई रोकता हुआ वह स्नानागार की ओर दौड़ा, जहां छ बाहर निकलती हुई सुंदर युवा मैक्सिकन लड़की से टकराया। क्यों, क्या पिछली रात को मैं नशे में था. उसने युवती से पूछा। मेरा विचार है कि तुम्हें नशे में होना चाहिए, उत्तर आया, वरना तुमने मेरी मां ' शादी न कर ली होती।