Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 05
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 380
________________ पुनः तुम भटकते हुए मुझसे दूर हो जाओगे क्योंकि जो यूं ही भटकता हुआ आ गया है उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। वह पुनः भटक जाएगा, कुछ और घटित हो जाएगा। कोई नेपाल जा रहा है, और यह खयाल' - तुमको आएगा - क्यों न नेपाल चला जाए? और तुम नेपाल चले जाते हो । और वहां तुम्हें कोई गर्लफ्रेंड मिल जाती है, जो कि संन्यास के विरोध में हैं, अब क्या किया जाए? तुमको अपना संन्यास छोड़ना पड़ता है। अब जब कि तुम यहां हो, तो इस अवसर का उपयोग कर लो लोग अवसरों का नितांत अचेतन ढंग से भी उपयोग कर लेते हैं। इसका चेतन ढंग से उपयोग कर लो। - मजिस्ट्रेट ने पूछा किस बात ने तुमको पत्नी को चोट पहुंचाने के लिए उकसाया था? पति ने कहा : योर ऑनर, उसकी पीठ मेरी ओर थी, फ्राइंगपैन हलका था, पिछला दरवाजा खुला हुआ था, और मैं हलके नशे में था, इसलिए मैंने सोचा कि मैं एक कोशिश करूंगा। लोग अपने अवसरों का अचेतन ढंग से प्रयोग कर लेते हैं। इस अवसर का चेतन ढंग से उपयोग कर लो, क्योंकि यह अवसर ऐसा है कि इसका प्रयोग केवल चैतन्यतापूर्वक ही किया जा सकता है। आज इतना ही। प्रवचन 97 साक्षी स्वप्रकाशित है योग - सूत्र (कैवल्यपाद) सदा ज्ञाताश्चित्तवृतयस्तमभोः पुरुषस्यपिम्णामित्वात् ।। 1811 मन की वृत्तियों का ज्ञान सदैव इसके प्रभु, पुरुष, को शुद्ध चेतना के सातत्य के कारण होता है। न तत्स्वाभासं दृश्यत्यात्।। 1911 मन स्व प्रकाशित नहीं है, क्योंकि स्वयं इसका प्रत्यक्षीकरण हो जाता है।

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