Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 05
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 456
________________ ओर जाने वाले अपने रास्ते पर हंसते हुए जाओ। गंभीर चेहरों के साथ मत जाओ। उस 'प्रकार के लोगों से परमात्मा पहले से ही काफी ऊब चुका है। सहानुभूति एक बड़ा निवेश है और उसको केवल तभी जारी रखा जा सकता है जब कि तुम सहानुभूति प्राप्त करते चले जाओ, केवल तभी जब तम परेशानी में बने रहो। इसलिए यदि एक परेशानी समाप्त हो जाती है तो तुम दूसरी बना लेते हो, यदि एक बीमारी तुमको छोड़ देती है तुम दूसरी निर्मित कर लेते हो। निरीक्षण करो इसका-तुम अपने साथ बहुत खतरनाक खेल खेल रहे हो। यही कारण है कि लोग परेशानी में हैं और अप्रसन्न हैं। वरना कोई आवश्यकता नहीं है। अपनी सारी ऊर्जा को प्रसन्न होने में अर्पित कर दो, और दूसरों के बारे में चिंता मत करो। तुम्हारी प्रसन्नता तुम्हारी नियति है; इसमें हस्तक्षेप करने का हक किसी को नहीं है। लेकिन समाज हस्तक्षेप किए चला जाता है : यह एक दुष्चक्र है। तुम्हारा जन्म हुआ, और निःसंदेह तुम्हारा जन्म एक ऐसे समाज में हुआ जो पहले से ही वहां था, यह विक्षिप्त लोगों का, ऐसे लोगों का समाज है जो सभी परेशान और अप्रसन्न हैं। तुम्हारे माता-पिता, तुम्हारा परिवार, तुम्हारा समाज, तुम्हारा देश सभी तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं। एक छोटे बच्चे का जन्म हुआ है, सारा समाज उस पुर कूद पड़ता है, उसको सभ्य बनाने लगता है, सुसंस्कृत बनाने लगता है। यह इस प्रकार से है जैसे कि किसी बच्चे का जन्म पागलखाने में हुआ हो और सारे पागल उसे सिखाने लगे। निःसंदेह उनको सहायता करनी पड़ती हैबच्चा इतना छोटा है और संसार के बारे में कुछ भी नहीं जानता है। जो कुछ भी वे जानते हैं वे सिखा देंगे। उनके माता-पिता ने और दसरे विक्षिप्त लोगों ने उन पर जो कछ थोप दिया था, को बच्चे पर थोप देंगे। क्या तुमने देखा है कि जब कभी कोई बच्चा खिलखिलाने और हंसने लगता है तो तुम्हारे भीतर कुछ असहज हो जाता है? तुरंत ही तुम उसको बता देना चाहते हो, इस हंसी इत्यादि को बंद करो और अपना लालीपॉप चूसो! अचानक तुम्हारे भीतर से कोई कहता है, बंद करो! जब कोई बच्चा खिलखिलाना आरंभ करता है, तो तुम्हें ईष्या का अनुभव होता है या किसी और भाव का? तुम एक बच्चे को, बस उसके भर पूर मजे के लिए यहां और वहां दौड़ लगाने और उछल-कूद की अनुमति नहीं दे सकते। मैंने दो अमरीकन स्त्रियों, दो ईसाई साध्वियों के बारे में सुना है। वे एक पुराने चर्च को देखने के लिए इटली गई थीं। अमरीकन यात्री! चर्च में उन्होंने एक इतालवी महिला को प्रार्थना करते हुए और उसके चार या पांच बच्चों को चर्च के भीतर दौड़ते हुए और खूब शोरगुल करते हुए और पूरी तरह भूल कर कि यह चर्च है, प्रसन्न होते हुए देखा। उन दोनों अमरीकी महिलाओं को यह सहन नहीं हो सका बस बहत हो चुका। यह चर्च की पवित्रता को भंग करना है। वे उस स्त्री, उनकी मां, के पास चली गई और उससे कहा, ये बच्चें तुम्हारे हैं? यह चर्च है और यहां पर कुछ अनुशासन बना कर रखना पड़ता है! इनको नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। उस महिला ने प्रार्थनापूर्ण आंखों से अत्यधिक प्रसन्नतापूर्वक

Loading...

Page Navigation
1 ... 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471