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नहीं है। यदि तुम अपनी पत्नी से प्रेम नहीं करते, तो उसको मत छुओ, क्योंकि यह अनाधिकार चेष्टा है। यदि तुम किसी स्त्री को प्रेम नहीं करते, तो उसके साथ सोओ मत; यह प्रेम के नियमों के प्रतिकूल जाना है, और वही परम निवम है। केवल तब जब तुम प्रेम करते हो, प्रत्येक बात की अनुमति है।
किसी ने हिप्पो के आस्तीन से पूछा, 'मैं एक नितांत अनपढ़ आदमी हूं और मैं धर्म, वितान की महान पुस्तकें और धर्मशास्त्र नहीं पढ़ सकता हूं। आप मुझे बस एक छोटा सा संदेश दे दीजिए। मैं बहुत मूर्ख हूं और मेरी याददाश्त भी अच्छी नहीं है, इसलिए कृपया मुझे कोई सार की बात बता दीजिए जिससे मैं उसे याद रख सकू और उसका अनुपालन कर सकू।' अगस्तीन एक बड़े दर्शनशास्त्री, महान संत थे, और उन्होंने बड़े-बड़े उपदेश दिए थे, लेकिन किसी ने उनसे बस सारांश के लिए नहीं पूछा था। उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली और यह कहा गया है कि वे घंटों ध्यानमग्न रहे। और उस व्यक्ति ने कहा, यदि आपने उत्तर खोज लिया है, तो कृपया मुझको बता दीजिए जिससे मैं वापस लौट जाऊं, क्योंकि मैं घंटों से प्रतीक्षा कर रहा हूं। अगस्तीन ने कहा : मैं सिवाय इसके और कुछ नहीं खोज सका हं प्रेम करो और फिर तुमको हर बात की अनुमति दी जाती है-बस प्रेम।
जीसस कहते हैं : परमात्मा प्रेम है। मैं तुमसे कहना चाहूंगा कि प्रेम परमात्मा है। परमात्मा के बारे में सब कुछ भूल जाओ, प्रेम पर्याप्त है। प्रेम के साथ चल पाने का पर्याप्त साहस बनाए रहो। और किसी बात की चिंता मत लो। यदि तुम प्रेम का खयाल कर लेते हो, तो तुम्हारे लिए सभी कुछ संभव हो जाएगा।
पहली बात, किसी स्त्री या पुरुष के साथ जिससे तुमको प्रेम नहीं है, मत जाओ। किसी सनक के चलते मत जाओ, किसी वासना के कारण मत जाओ। खोजो, क्या किसी व्यक्ति के साथ प्रतिबदध रहने की आकांक्षा तुममें जाग चुकी है। क्या गहरा संबंध बनाने के लिए तुम पर्याप्त रूप से परिपक्व हो? क्योंकि यह संबंध तम्हारे सारे जीवन को बदलने जा रहा है। और जब तम संबंध बनाओ तो इसको पूरी सच्चाई से बनाओ। अपनी प्रेयसी या अपने प्रेमी से कुछ भी मत छिपाओ-ईमानदार बनो। उन सभी झूठे चेहरों को गिरा दो, जिनको पहनना तुम सीख चुके हो। सभी मुखौटे हटा दो। सच्चे हो जाओ। अपना पूरा हृदय खोल दो, नग्न हो जाओ। दो प्रेम करने वालों के बीच में कोई रहस्य नहीं होना चाहिए, वरना प्रेम नहीं है। सारे भेद खोल दो। यह राजनीति है; रहस्य रखना राजनीति है। प्रेम में ऐसा नहीं होना चाहिए। तुमको कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए। जो कुछ भी तुम्हारे हृदय में उठता है उसे तुम्हारी प्रेयसी के लिए स्पष्ट रूप से पारदर्शी होना चाहिए। तुमको एक-दूसरे के प्रति दो पारदर्शी अस्तित्व बन जाना चाहिए। धीरे-धीरे तुम्हें दिखाई पड़ेगा कि तुम एक उच्चतर एकत्व की ओर विकसित हो रहे हो।
बाहर की स्त्री से मिल कर, उससे सच्चाई से मिल कर, उसको प्रेम करते हुए, उसके अस्तित्व के प्रति स्वयं की प्रतिबद्धता जारी रखते हुए, उसमें विलीन होते हुए, उसमें पिघल कर, धीरे-धीरे तुम उस स्त्री से मिलना आरंभ कर दोगे जो तुम्हारे भीतर है, तुम उस पुरुष से मिलना आरंभ कर दोगी जो