Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 05
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 443
________________ गलत दिशा में कर रहे हैं या बस पीड़ा में खो गए हैं और स्वीकार कर लिया है कि बस यही जीवन है, या इतने हताश हो चुके हैं, साहस खो चुके हैं कि कोई कोशिश ही नहीं कर रहे हैं। योग उस वास्तविकता तक पहुचने का प्रयास है जिससे हमारा संबंध टूट चुका है। पुन: जुड़ जाना ही योगी होना है। योग का अर्थ है पुनः संबंध, पुन: एकीकरण, पुन: लीन हो जाना । : 'प्रतिक्षण घटने वाले परिवर्तनों के सातत्य की प्रक्रिया तीन गुणों के रूपांतरण के परम अंत पर घटित होती है - यही क्रम है।' इस छोटे से सूत्र में पतंजलि ने वह सभी कुछ कह दिया है जिसे आधुनिक भौतिक विज्ञान ने अब खोज लिया है। अभी तीस या चालीस वर्ष पूर्व तक इस सूत्र को समझा जाना असंभव रहा होता, क्योंकि इस छोटे से सूत्र में सारी क्वांटम फिजिक्स बीज रूप में उपस्थित है। और यह शुभ है, क्योंकि यह अंत से ठीक पहला सूत्र है। इसलिए पतंजलि भौतिक विज्ञान का सारा संसार इस अंत से ठीक पहले के सूत्र में समेट देते हैं, फिर परा भौतिक विज्ञान यह आधारभूत भौतिक विज्ञान है। इस बीसवीं शताब्दी में भौतिक विज्ञान में जो श्रेष्ठतम अंतर्दृष्टि आई है वह है क्वांटम का सिद्धांत । मैक्स प्लैंक ने एक बहुत अविश्वसनीय बात की खोज की। उन्होंने खोजा कि जीवन एक सातत्य नहीं है; हर चीज असातत्य में है। समय का एक क्षण समय के दूसरे क्षण से अलग है, और समय के दो क्षणों के मध्य में एक अंतराल है वे दोनों क्षण संबंधित नहीं हैं वे असंबद्ध हैं। एक परमाणु दूसरे परमाणु से अलग है, और दो परमाणुओं के मध्य एक बड़ा अंतराल है। वे परस्पर जुड़े हुए नहीं हैं। यही है जिसको वह क्वांटा कहता है, अलग, भिन्न परमाणु जो एक-दूसरे के साथ संयुक्त नहीं हैं, वे अनंत आकाश में तैर रहे हैं, लेकिन अलग-अलग - जैसे कि तुम एक पात्र से दूसरे पात्र में मटर के दाने पलटते हो और मटर के सभी दाने उसमें गिर जाते हैं अलग-अलग, भिन्न प्रकार से, या तुम एक पात्र से दूसरे पात्र में तेल उड़ेलते हो, तेल एक सतत धारा के रूप में गिरता है। अस्तित्व मटर के दाने की भांति है अलग-अलग इसका उल्लेख पतंजलि क्यों करते हैं-क्योंकि वे कहते हैं, एक परमाणु, एक और परमाणु ये दो भिन्न वस्तुएं हैं जिनसे संसार बना है। ठीक उनके मध्य में अंतराल है। यही है जिससे सारा संसार निर्मित है, परमात्मा इसको अंतरिक्ष कहो, इसको ब्रह्म कहो, इसे पुरुष कहो या जो कुछ तुमको पसंद हो वह कह लो, संसार विभिन्न परमाणुओं से निर्मित है और समग्र अस्तित्व उनके मध्य के अंतराल से बना है। अब भौतिकविद कहते हैं कि यदि हम सारे संसार को दबा दें और कणों के बीच के रिक्त स्थान को हटा दें, तो सभी नक्षत्र मंडल और सभी सूर्य बस छोटी सी गेंद में दब कर समा सकते हैं। केवल इतना ही पदार्थ है। शेष विश्व वास्तव में रिक्त स्थान है। पदार्थ तो बस यहां और वहां है, अत्यल्प है। यदि हम पृथ्वी को बहुत अधिक दबा दें, तो हम इसको माचिस की एक डिब्बी में रख सकते हैं। यदि सारा खाली स्थान बाहर कर दिया जाए तो अविश्वसनीय है यह बात! और यह भी यदि हम इसे और

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