Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 05
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 400
________________ संसार उसकी सृजनात्मकता है, उसकी अभिव्यक्ति है, यह संसार उसका काव्य है। यदि तुम काव्य के विरोध में हो तो, तुम कवि के समर्थन में किस भांति हो सकते हो? काव्य की निंदा करने में तुमने कवि की निंदा कर ही दी है। निस्संदेह, काव्य ही लक्ष्य नहीं है, तुमको कवि की खोज भी करनी पड़ेगी। लेकिन कवि तक पहुंचने के रास्ते में तुम काव्य का आनंद भी उठा सकते हो, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। एक मेथोडिस्ट धर्म प्रचारक वायुयान से अमरीका जा रहा था, जब एअर होस्टेस ने पूछा कि क्या वह बार से कोई पेय लेना चाहेगा, तो उसने पूछा, हम कितनी ऊंचाई पर उड़ रहे हैं? जब यह बताया गया कि तीस हजार फीट, तो उसने उत्तर दिया, नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए......मुख्यालय के इतने पास नहीं पियूँगा। भय, धार्मिक लोग लगातार भय से ग्रसित हैं। लेकिन भय तुम्हें ईश्वर की कृपा नहीं दे सकता, तुमको गरिमा नहीं दे सकता। भय पंगु बना देता है, अपंग कर देता है, विकृत कर डालता है। भय के कारण धर्म करीब-करीब एक रोग बन चुका है। यह तुमको असामान्य बना देता है, यह तुम्हें स्वस्थ नहीं करता, यह तुमको जीने से और और भयभीत कर देता है, नरक है, और तुम जो कुछ भी करते हो ऐसा लगता है कि तुम कुछ गलत कर रहे हो। तुम प्रेम करते हो और यह गलत है, तुम आनंद लेते हो और यह गलत है। प्रसन्नता को अपराध-बोध से जोड़ दिया गया है। केवल गलत लोग ही प्रसन्न मालूम पड़ते हैं। भले लोग सदा गंभीर रहते हैं और कभी प्रसन्न नहीं होते। यदि तुम स्वर्ग जाना चाहते हो तो तमको गंभीर और अप्रसन्न और उदास और संतापग्रस्त होना पड़ता है। तुमको तपस्वी होना पड़ता है। यदि तुम नरक जाना चाहते हो, तो प्रसन्न हो जाओ और नृत्य करो ( आनंद लो। किंतु स्मरण रखना, उमर खय्याम ने कहीं पर कहा है, 'मझे सदैव एक बात के बारे में चिंता रहती है : यदि ये सारे अप्रसन्न लोग स्वर्ग जा रहे हैं तो वहां पर वे करेंगे क्या? वे नृत्य नहीं कर सकते, वे गीत नहीं गा सकते, वे पी नहीं सकते, वे आनंद नहीं उठा सकते, वे प्रेम नहीं कर सकते। सारा मौका इन मूढ़ लोगों पर गंवा दिया जाएगा। वे लोग जो आनंद उठा सकते हैं नरक में भेज दिए जाते हैं। वास्तव में उनको स्वर्ग में होना चाहिए।' यह अधिक तर्कपूर्ण प्रतीत होता है। उमर खय्याम का कहना है, 'यदि तुम वास्तव में स्वर्ग जाना चाहते हो तो यहीं पर स्वर्ग सा जीवन जीयो ताकि तुम तैयार रही।' पतंजलि चाहेंगे कि तुम जीवन से आलोकित रहो, अज्ञात से स्पंदित रहो। वे किसी चीज के विरोध में नहीं हैं। यदि तुम प्रेम में हो, तो वे कहते हैं, अपने प्रेम को थोड़ा और गहराओ। तुम्हारे लिए अधिक बड़े खजाने प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये खजाने अच्छे हैं, ये वृक्ष, ये पुष्प अच्छे हैं। फिर पुरुष, स्त्री, वे सुंदर और अच्छे हैं, क्योंकि किसी भी तरह से, भले ही कितनी दूर हो फिर भी परमात्मा उनके माध्यम से तुम तक आज्ज है। हो सकता है वहां अनेक पर्दे हों। जब तुम किसी स्त्री या पुरुष से मिलते हो तो अनेक पर्दे और परतें हों, लेकिन फिर भी जो प्रकाश है वह परमात्मा का है। शायद यह अनेक अवरोधों से होकर गुजरा हो, यह विकृत हो सकता है, लेकिन फिर भी यह प्रकाश परमात्मा का है।

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