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पश्चिम की चेतना में यह विभाजन बहुत, बहुत ही मजबूत बन चुका है, क्योंकि पुरुष ने स्त्री का इतना अधिक दमन किया है कि स्त्री को प्रतिरोध करना पड़ता है और वह प्रतिरोध तभी कर सकती है जब वह अपने स्त्री होने के प्रति और और चेतन होती चली जाए। पश्चिम से तुम जब मेरे पास आते हो तो तुम्हारे लिए यह समझना कठिन हो जाता है, किंतु तुमको इस बात को समझना पड़ेगा और स्त्रीपुरुष के विभाजन को छोड़ना पड़ेगा। बस मनुष्य बन कर रहो और यहां मेरा पूरा प्रयास तुम्हें तुम्हारा मौलिक अस्तित्व बना देना हैं, जो स्त्री या पुरुष कुछ भी नहीं है।
अंतिम प्रश्न:
मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कि आपके पास आने में मेरा कोई चुनाव नहीं था। क्या कभी हम वास्तव उन चीजों को चून लेते है जो हमारे जीवन में घटित होती है ?
/ मान्यतः नहीं। आमतौर से तुम रोबोट, एक यांत्रिक वस्तु की भांति आकस्मिक ढंग से चलते
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फिरते हो। जब तक कि तुम पूर्णतः जायत न हो जाओ तुम चुनाव नहीं कर सकते। और यहां एक विरोधाभास आता है तुम जागरुक तभी हो सकते हो जब तुम चुनाव शून्य हो जाओ और तुम जागरूक हो जाओ, तो तुम चुनाव करने में समर्थ हो जाते हो। तुम चुनाव कर सकते हो क्योंकि जब तुम जागरूक हो तभी तुम निर्णय कर सकते हो कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। आमतौर पर तुम करीब-करीब नशे की अवस्था में रहते हों एक निद्रागामी, जो कि तुम हो।
मैं तुमको कुछ कहानियां सुनाता हूँ।
एक पादरी अपने मित्र से निराशापूर्वक कह रहा था कि उसकी साइकिल चोरी हो गई है।
मित्र ने कहा. ठीक है, तुम आगामी रविवार को अपने उपदेश के लिए 'दस आशाओं को विषय के रूप में क्यों नहीं चुनते? उनको श्रद्धालुओं के सम्मुख पढ़ कर सुना देना। जब तुम उस आशा को पढो जो कहती है, तुमको चोरी नहीं करना चाहिए, तब रुक जाना और धर्मसभा पर एक दृष्टि डालना, और यदि वह चोर वहां उपस्थित होगा तो शायद उसके चेहरे के भावों से वह पहचान में आ जाएगा।
अगले सप्ताह उसी मित्र ने पादरी को गांव में साइकिल पर भ्रमण करते हुए देखा और उसको रोक लिया, मैं देख रहा हूं कि तुम्हारी साइकिल वापस मिल गई है क्या मेरी राय से काम बन गया ?