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होना चाहते हो, तो धनवान हो जाओ। इस मामले को निबटा ही डालो, एक बार धन तुम्हारे पास हो तभी तुम यह जान सकोगे कि यह कुछ नहीं है, यह निराशा लाता है। लेकिन यदि तुमने सफलता से पूर्व ही इसे छोड़ दिया हो, समस्या हो जाएगी। अनेक बार यह विचार बार-बार उठेगा, हो सकता है कि उसमें कुछ रहा हो। वरना सारा संसार क्यों धन, राजनीति और शक्ति में उत्सुक है? वहां कुछ न कुछ तो है। हो सकता है कि मैंने ही गलती से ट्रेन छोड़ दी हो। मुझे लगे रहना चाहिए था, मुझे सारे मामले को देख कर उसका अनुभव कर लेना चाहिए था।
यदि तुम किसी इच्छा को पूरा करने में सफल हो चुके हो, तो वह इच्छा स्वय ही तुम्हें इच्छाविहीन बना देती है। वह सफलता स्वत: ही इच्छा को मार डालती है। तब कम जागरूकता के साथ ही व्यक्ति त्याग कर सकता है। लेकिन अगर तुम बस पहुंचने ही जा रहे हो, बस लक्ष्य छूने भर की दूरी पर हो और सभी कुछ संभव हुआ जा रहा हो और तुम पीछे घूम कर दूर चले जाओ, इसके लिए अधिक सघन होश की जरूरत पड़ेगी। इसलिए मैत्रेय को और सघन होश की जरूरत होगी।
लेकिन यह भी घटित होना था, क्योंकि एक बार तुम किसी के प्रभाव क्षेत्र में आ जाओ जो तुम्हें संसार से बाहर ले आए, एक बार तुम्हारा संपर्क हो जाए-और तुम अनजाने में ही संस्पर्शित हो गए... मैं एक अन्य राजनेता के घर मेहमान था और उन्होंने मैत्रेय को भी निमंत्रित किया हुआ था। अब क्योंकि एक बजर्ग राजनेता, एक वरिष्ठ राजनेता ने उन्हें निमंत्रित किया था तो उन्हें यह जानने के लिए आना ही पड़ता कि मामला क्या है। किंतु बार-बार तुम किसी ऐसे प्रभाव क्षेत्र के संपर्क में आ जाओ जो तुमको महत्वाकांक्षा के संसार से बाहर ले जा सकता हो-और यदि तुम जरा संवेदनशील हो
समझपर्ण हो-और वे हैं-वे बात को तरंत समझ गए। वे वयोवदध राजनेता जिनके घर मैं ठहरा हुआ था, मेरे साथ कई वर्षों तक रहे, परंतु मुझको कभी नहीं समझे। वे अब विदा ले चुके हैं, स्वर्गीय हो गए हैं, लेकिन वे राजनेता की भांति मरे, और वे संसद सदस्यरहते हुए मरे। वै सारे संसार के सर्वाधिक समय रहने वाले संसद सदस्यों में से एक थे। वे पचास वर्ष तक संसद सदस्य रहे। लेकिन वे मुझे कभी नहीं समझ सके। वे मुझको बहुत चाहते थे, करीब-करीब मेरे प्रेम में पड़ गए थे, लेकिन समझ संभव न हो सकी। वे बहुत मंदमति, मूढ़ थे।
उनके माध्यम से मैत्रेय मेरे पास आए, लेकिन वे बहत संवेदनशील व्यक्ति हैं। और मेरा उनसे कहना है कि न केवल अपने राजनैतिक जीवन में वे सफलता के पात्र थे वरन परम के लिए भी वे बेहद उपयुक्त पात्र हैं। तुमने एक ट्रेन छोड़ दी है, दूसरी को मत छोड़ना। यदि इस बार तुम चूक गए, तो न सिर्फ तुम्हारा सामान, बल्कि तुम्हारे वस्त्र भी जाने वाले हैं। तुम नग्न खड़े रह जाओगे।
एक बार एक बड़ा राजनेता मर गया और उसके भूत ने शवयात्रा में, अपनी खुद की शवयात्रा के साथ, चलने का फैसला किया। अपने अंतिम संस्कार के समय उसकी भेंट एक अन्य राजनेता के भूत से हई जिससे वह वर्षों से परिचित था।