________________ अमानवीय हैं, हिंदू देवता अधिक मानवीय हैं। हिंदू देवता लगभग ऐसे ही हैं जैसे कि वे तुम्हारे बीच से बिलकुल तुममें से ही आए हों, ठीक तुम्हारी तरह अधिक शुद्ध, अधिक पूर्ण, लेकिन तुमसे जुड़े हुए। वे असंबधित नहीं हैं, वे तुम्हारे जीवन के अनुभवों से जुड़े हुए हैं। प्रेम को अपनी प्रार्थना भी बन जाने दो। निरीक्षण करो, अपने भीतर के घड़ियाल का निरीक्षण करो और इसको त्याग दो, क्योंकि यह घड़ियाल तुमको गहन प्रेम में खिलने नहीं देगा। यह तुम्हें विनष्ट कर डालेगा और विध्वंस कभी किसी को परितृप्त नहीं करता। विध्वंस हताश करता है। परितृप्ति केवल गहरी सृजनात्मकता से फलित होती है। एक विनम्र छोटा आदमी अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार से लौट कर बस अपने घर आ रहा था। जैसे ही वह अपने घर के सामने वाले दरवाजे र की छत से चिमनी टूट कर नीचे आई और उसकी पीठ पर धड़ाम से गिर पड़ी। ऊपर देर वह बड़बड़ाया, आह.. .वह वापस लौट आईं। जो तुमको प्रेम करता है, उसकी अपने मन में ऐसी छवि मत निर्मित करो। और पुरुष को विकसित होने के लिए स्त्री से बहुत कुछ चाहिए-उसका प्रेम, उसकी करुणा, उसकीउष्णता। पुरुष और स्त्री के बारे में पूर्वीय समझ यह है कि स्त्री मूलत एक मां है। एक छोटी सी बच्ची भी अनिवार्यत: एक मां है, एक विकसित होती हुई मां। मातृत्व कोई ऐसी बात नहीं है जो आकस्मिक घटना की भांति घटती हो, यह स्त्री में होने वाला विकास है। पितृत्व बस एक सामाजिक औपचारिकता है; यह अनिवार्य नहीं है। वस्तुत: स्वाभाविक नहीं है यह। इसका अस्तित्व केवल मानव समाज में है, इसे मनुष्य ने निर्मित किया है। यह एक संस्था है। मातृत्व कोई संस्था नहीं है, पितृत्व है। पुरुष में पिता बनने के लिए कोई आंतरिक अनिवार्यता की अनभूति नहीं होती। जब कोई पुरुष किसी स्त्री के प्रेम में पड़ता है तो वह प्रेमिका खोज रहा है, जब कोई स्त्री किसी पुरुष के प्रेम में पड़ती है तो वह किसी ऐसे को खोज रही है जो उसको मां बना देगा। वह किसी ऐसे को खोज रही है जो उसके बच्चों का पिता बनना चाहेगा। यही कारण है कि जब कोई स्त्री किसी पुरुष को पाने का प्रयास करती है तो उसकी कसौटी अलग ढंग की होती है। शक्तिशाली, क्योंकि उसे सुरक्षा की आवश्यकता होगी और उसके बच्चों को सुरक्षा की आवश्यकता पड़ेगी। धनवान, क्योंकि उसको रक्षा की आवश्यकता होगी और बच्चों को सुरक्षा की आवश्यकता होगी। जब कोई पुरुष किसी स्त्री की खोज करता है तो उसको केवल पत्नी की चाहत होती है। उसे केवल एक सुंदर स्त्री की अभिलाषा होती है जिसके साथ वह आनंदित हो सके और रह सके। उसको पिता होने की कोई बहुत फिकर नहीं रहती। यदि वह पिता बन जाता है तो यह आकस्मिक घटना है। यदि वह इसे भी पसंद करने लगता है तो ऐसा भी अकस्मात होता है क्योंकि वह उस स्त्री को प्रेम करता है, और बच्चों का आगमन उसी के माध्यम से हुआ है। वह बच्चों को स्त्री के माध्यम से प्रेम करता है, और स्त्री पुरुष को बच्चों के माध्यम से प्रेम करती है। निःसंदेह ऐसा ही होना चाहिए; वर्तुल पूरा हो जाता है। एक स्त्री बुनियादी रूप से एक मां है, मां होने की खोज में है।