________________ संभव है जब उपलब्ध करने का सारा प्रयास त्याग दिया जाता है, क्योंकि जिसको तुम उपलब्ध करने का प्रयास कर रहे हो वह पहले से ही वहां है। इसे उपलब्ध नहीं किया जा सकता। इसको उपलब्ध करने का प्रयास ही तुम और तुम्हारी वास्तविकता के मध्य अवरोध निर्मित करना जारी रखेगा। किंतु मन निरीक्षण करता रहता है और अपने लिए कोई भी सहारा पाने के लिए सदैव तत्पर रहता है। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। एक छोटे से गांव में एक पुलिसवाला पिछले बीस वर्षों से कार्यरत था और स्थानीय निवासियों में वह कोई खास लोकप्रिय नहीं था। स्थानीय गांव का प्रिय निवासी बनने के स्थान पर, जैसे कि वहां का कसाई या वहां का डाकिया था, वह स्वयं को किसी फिल्मी नगर प्रमुख की भांति समझता था और बहत छोटे से मामले को भी ऐसे निबटाता था जैसे कि यह स्काटलैंड यार्ड की कोई गुत्थी हो। उसका अपनी नौकरी के प्रति लगाव का परिणाम यह था कि गांव के प्रत्येक निवासी को कोई न कोई अभियोग पत्र मिलना सिपाही की शेखी और गर्व का विषय था। एक समय ऐसा आया जब उसे पता लगा कि उसके गांव के साथ जिसे वह अपनी जागीर समझा करता था, छह गांवों की चौकसी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर दी गई है, एक पुलिस कार वहां आ रही है। उसे अचानक स्मरण हो आया कि उसने अभी तक स्थानीय पादरी के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है। और उसका घमंड उसे इस बात की अनुमति नहीं देता था कि इस पादरी को न्यायपीठ के सम्मुख लाए बिना वह अपनी नौकरी से अवकाश ग्रहण कर ले। उसका परिश्रम व्यर्थ जा रहा था। लेकिन जैसे ही उसने पादरी को साइकिल से गांव में भ्रमण करते हुए देखा, तो उसने एक जबरदस्त योजना बनाई। गांव की एक मात्र पहाड़ी की तलहटी में खड़े हुए उसने साइकिल चला रहे पादरी को ऊपर से आते हुए देखो। जब पादरी उससे मात्र एक गज दूर रह गया तभी सिपाही अचानक उसके सामने आ खड़ा हुआ, वह सोच रहा था, यह मेरे पैर पर साइकिल अवश्य चढ़ा देगा। मुझे चोट लग जाएगी और मैं साइकिल के ब्रेक ठीक न होने का आरोप उस पर लगा दूंगा। पादरी ने सामने खड़ी समस्या को भांप कर ब्रेक लगा दिए और पुलिस वाले के बूटों से ठीक आठ इंच पहले उसकी साइकिल रुक गई। पुलिसवाले ने हिचकिचाते हए अपनी पराजय स्वीकार कर ली और कहा, मैंने सोचा था कि तुम्हें इस बार फंसा ही लूंगा, पादरी। पादरी ने कहा : जी ही, किंतु परमात्मा मेरे साथ था। अब पकड़े गए तुम पुलिसवाले ने कहा, एक साइकिल पर दो सवारी। इसी तरह मन चलता चला जाता है-सतत निरीक्षण। कोई भी बहाना, तर्कयुक्त, तर्क रहित, कोई बहाना, कोई भी असंगति और मन अचानक कूद पड़ता है और पुराने ढांचे को जारी रखने का प्रयास करता है। मैं तुमसे बहुत सी बातें कह रहा हूं और निःसंदेह मुझको भाषा का प्रयोग करना पड़ता है। सजग हो जाओ, इस चालाक मन के प्रति सजग हो जाओ जो ठीक तुम्हारे पीछे छिपा हुआ है, और बस किसी ऐसी बात की प्रतीक्षा कर रहा है जो इसके और सबल होने का बहाना बन सके।