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थे। वे ऊपर और ऊपर उठ रहे थे। अब तक तो वे किसी तरह मुख्यमंत्री बन चुके होते या वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित हो चुके होते। बहुत आश्वस्त थे वे। वे सभी स्वप्न तिरोहित हो चुके हैं। अब वे सपने बनते रहते हैं और उनका पीछा करते रहते हैं, भूत हैं वे स्वप्न।
उनको इस तथ्य को पहचानना होगा कि वापस जाना संभव न रहा। वे वापस न लौट सकने वाले बिंदु पर पहुंच चुके हैं। इसलिए अब उस बोझ को ढोना अनावश्यक है। आदतवश मन इसको ढोए चला जाता है। इसे छोड़ दें। इसको पहचान लें, इसमें गहराई से देख लें। इससे धोखा न खाएं।
मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी अपने पति की बहुत अधिक पीने की आदत से बेहद चिंतित थी, और एक रात उसने मुल्ला को डराने की ठानी। उसने खुद को सफेद कपड़े में लपेटा और यह जानते हुए कि उसके पति की शराब घर से आते समय कब्रिस्तान से होते हुए छोटे रास्ते से आने की आदत है वह कब्रिस्तान में जाकर बैठ गई। थोड़ी ही देर में मुल्ला लड़खड़ाता हुआ आया, वह एक कब के सिरहाने से कूद कर अचानक उसके सामने आ खड़ी हुई।
हूंsss, वह चीखी, मैं शैतान हूं।
मुल्ला नसरुददीन ने अपना हाथ बाहर निकाला और उसका कंधा थपथपा कर वह बोला. तुम्हारी बहन से मेरा विवाह हो चुका है।
पहचान लो! इन नेहरू, दिनकर और जेपी. के भूतों को पहचान लो, तुम्हारे अतीत का उनकी बहन राजनीति से विवाह हो चुका है। इन भूतों के द्वारा मत छले जाओ। उन्होंने एक दाग छोड़ दिया है, इसे धोकर साफ करना पडेगा।
और मैं जानता हूं कि बहुत कठिन है। जब तुम बस सफलता के कगार पर हो और अचानक तुम मुड़ गए और तुमने अपना रास्ता बदल लिया, तब बड़ी मुश्किल बात है यह। जब वे मुझसे मिले थे तो वे संसद सदस्य थे, लेकिन इस मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया। धीरे-धीरे वे राजनीति से हटने लगे, मझमें अधिक रुचि लेने लगे और अपनी राजनैतिक गतिविधियों में रुचि कम करने लगे। और वे बस सफलता के मुकाम पर खड़े थे। यदि वे सफल हो गए होते, और उन्होंने सफलता की पीड़ाओं को सह लिया होता, और सफलता की असफलता को भी झेला होता, तो उनके लिए पुराने भूतों को छोड़ पाना अपेक्षाकृत आसान रहा होता, बस सफल होने के मुकाम पर खड़े थे वे। बस उसी दरवाजे पर जब वे महल में घुस रहे थे उनकी भेंट मुझसे हो गई। अब वह दरवाजा और उस महल का स्वप्न और वहां रहने का स्वप्न जारी है।
यदि वे उस महल में कुछ समय रह लिए होते और यह जान गए होते कि इसमें कुछ नहीं रखा है, तो यह सरल रहा होता, तो यह बहुत आसान बात हो गई होती। इसीलिए तो मेरा कहना है कि यदि तुम किसी कार्यक्षेत्र में हो तो उसे छोड़ने के बजाय उसमें सफल हो जाना बेहतर है। यदि तुम धनवान